पृष्ठ:दासबोध.pdf/५३९

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समास २] चतुरता का वर्ताव। ४६१ संसार में छोड़ जाना चाहिए और कोई न कोई विशिष्ट गुण दिखला कर लोगों को मोहित कर लेना चाहिए ॥ १३ ॥ मोटा कागज लाकर उसे सावधानी के साथ घोटना चाहिए और लिखने का सामान भी भांति भांति का होना चाहिए ॥१४॥ चाकू, कैंची, लकीर खींचने का यंत्र, शीश, घोंटा, अनेक प्रकार के सुरंग, सब सामान होना चाहिए ॥ १५ ॥ देश-देशान्तर की चिकनी, बारीक, सोधी और अनेक रंगों की किलक एकत्र करना चाहिए ॥ १६॥ टाँक बनाने का यंत्र, लकीरें खींचने का यंत्र और शीशे की गोलियां, इत्यादि अनेक सामान चित्रविचित्र होना चाहिए ॥ १८ ॥ सूखा और गीला ईगुर का रंग रखना चाहिए । इसके सिवाय नाना प्रकार के रंगों को अलग अलग रुई में भिगो कर रख लेना चाहिए। यह मसि-संग्रह की रीति है ॥ १८॥ ग्रन्थ की 'इति श्री' नाना प्रकार के सुन्दर चित्रों से चित्रित करना चाहिए। चित्र खींचने का सामान भी देशदेशान्तरों का होना चाहिए ॥ १६ ॥ नाना प्रकार की निवार, वेष्टन, लाल रंग के भोमजाम, पेटिकाएं, ताले, इत्यादि अनेक सामान पुस्तकों को सुरक्षित रखने के लिए चाहिए* ॥ २० ॥ - दूसरा समास-चतुरता का बर्ताव । ॥ श्रीराम ॥ पिछले समास में लिखने की रीति बतलाई गई; अब अनेक प्रकार के अर्थों के जानने की रीति सुनो। सब प्रकार की बातें समझ लेना चाहिए ॥ १॥ शब्दभेद, अर्थभेद खुद्राभेद, प्रबंधभेद, और नाना ध्वनियों के ध्वनिभेद जान लेना चाहिए ॥२॥ नाना आशंकर, उत्तर प्रत्युत्तर, प्रतीति, साक्षात्कार, आदि जान लेना चाहिए, क्योंकि इन बातों से लोगों का अतःकरण प्रसन्न होता है ॥३॥ नाना प्रकार के पूर्वपक्ष, सिद्धान्त और अनुभव अच्छी तरह जानना चाहिए । सन्देहपूर्ण अस्त- व्यस्त बांतेंन बोलना चाहिए ॥४॥ प्रवृत्ति हो, चाहे निवृत्ति हो, बिना प्रतीति (अनुभव) के सारी भ्रांति ही है। बिना अनुभव के मनुष्य ऐसा ही है जैसे मिट्टी का गड़गा! उसकी जगज्ज्योति (अनुभव विना) कैसे चेत सकती है ? ॥ ५ ॥ हेतु समझ कर उत्तर देना चाहिए। दूसरे के जी की

  • इस समास से उस समय की लेखनप्रणाली पर अच्छा प्रकाश पड़ता है।