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दुखी भारत


आवश्यकता पढ़ने पर उनके भोजन का भी इतना प्रबन्ध करना पड़ता है कि सरकार ने उसकी शिक्षा की जो व्यवस्था की है उससे वे संतोसजनक लाभ उठा सके।

४—संक्षेप में बालकों को योग्य चतुर और सावधान नागरिक बनने में सहायता देने के विचार से उनके पालन-पोषण करने और उन्हें शिक्षा देने का कर्तव्य सरकार का है। और उसे इन कामों को पूरा करने के लिए मजबूर करना चाहिए। ये बातें अब माता-पिता की स्थिति या इच्छा पर निर्भर नहीं हैं।