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अछूत—उनके मित्र और शत्रु

एक बात यहाँ ध्यान में रखने की है कि इस सम्बन्ध में मिस मेयो जब ईसाई धर्मप्रचारकों के उद्योगों का वर्णन करती है तब वह भारतीय संस्थानों में केवल अखिल भारतवर्षीय सेवा-समिति का उल्लेख करती है और शेष किसी का, आर्य्यसमाज तक के कार्य्यों का कहीं नाम भी नहीं लेती।

अछूतों में हिन्दुओं की भिन्न भिन्न संस्थाएँ शिक्षा-प्रचार के लिए जो कार्य्य कर रही हैं उसका संक्षिप्त विवरण सरकारी पञ्च-वार्षिक रिपार्ट[१]में इस प्रकार मिलता है:—

"मद्रास में यह समस्या विशेष महत्त्व की है। क्योंकि वहाँ परियार, पल्ला, मला, मदिगा, हुलिया और अन्य कई एक जातियाँ पंचम (चाण्डाल) समझी जाती हैं। इन चाण्डालों की संख्या बहुत बड़ी है। इस जाति में रोमन कैथलिक और प्रोटेस्टैंट ईसाइयों के दोनों सम्प्रदाय बड़ी लगन से अपना प्रचार-कार्य्य करते रहे हैं और उन्होंने बहुत से चाण्डालों को ईसाई धर्म में सम्मिलित भी कर लिया है। शिक्षा-विभाग के स्कूलों की संख्या बढ़ गई है। और इन दलित जातियों के उद्धार के कार्य में हिन्दू समाज भी बहुत उत्साह दिखा रहा है। स्कूलों में पञ्चमों के बालकों की संख्या ७२,१९० से बढ़कर १,२०,६०७ हो गई है। केवल पञ्चमों के लिये खोले गए ख़ास स्कूलों का व्यय ६.०८ लाख रुपये से बढ़कर ८.७४ लाख रुपये हो गया है। इसमें सरकारी सहायता ४.८ लाख रुपये हैं। बम्बई में अछूतों के पृथक् स्कूलों की संख्या ५७६ है। इनमें से २११ डिस्ट्रिक्ट बोर्डों के प्रबन्ध से चलते हैं, ८५ म्यूनिसिपैलिटियों के प्रबन्ध से। और २८० स्कूलों को सार्वजनिक संस्थाएँ चलाती हैं। अन्त के २८० स्कूलों के चलाने में मुख्य भाग ईसाई मिशन का है। परन्तु पूना और बम्बई की दलितोद्धार समिति का भी इसमें एक भाग है। इस समिति को सरकारी सहायता भी मिलती है। छात्रों की संख्या २६,२०४ से बढ़कर ३०,५६८ हो गई है। यह सूचित किया गया है कि बङ्गाल में अत्यन्त निम्न जाति के बालकों को भी आरम्भिक पाठशालाओं में भर्ती होने में विशेष कठिनाई नहीं पड़ती। परन्तु तो भी जहाँ इनकी बस्तियाँ अधिक हैं वहाँ सरकार ने इनके लिए पृथक् स्कूल खोल दिये हैं। भारतीय संस्थाओं में बङ्गाल-समाज-सेवा-समिति और अछूतोद्धार-समिति-बङ्गाल और आसाम ने क्रमशः १९ और ६२ स्कूल खोले हैं। संयुक्त-प्रान्त में बोर्डों को हाल ही में यह आज्ञा दी गई है कि जहाँ आवश्यकता और माँग हो वहाँ वे अछूतों और दलित जातियों के लिए निःशुल्क पाठशालाएँ खोलें। रिपोर्ट ने इस दिशा में


  1. १९१२-१९१७ की शिक्षा सम्बन्धी पञ्च-वार्षिक रिपोर्ट।