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चाण्डाल से भी बदतर


के अपराध करने की बात पर तुरन्त विश्वास कर लेती है। कोई हबशी गिरफ्तार कर लिया जाता है। यदि वह उसी दम मार डाला जाता है तो पुलिस को अपने बचाव का साधन मिल जाता है और अपराधी गोरे व्यक्ति भी भेद खुल जाने के भय से बच जाते हैं। यदि हत्या करने में देर लगती है और इस कृति के लिए उन्हें भय दिलाया जाता है तो एक समूह हबशियों के प्रान्त पर आक्रमण करता है। इससे लूटपाट और चोरी करने का भी अवसर मिलता है। यदि कुछ हबशी अपनी रक्षा करने का प्रयत्न करते हैं तो पुलिस तुरन्त सशस्त्र नागरिकों की सहायता से समस्त हबशियों के अस्त्र-शस्त्र छीन लेती है और उनके एक दल पर बलवा करने का अपराध लगा देती है। यदि बलवा करने के अपराध में कुछ गोरे भी गिरफ्तार होते हैं तो शीघ्र ही प्रायः सब छोड़ दिये जाते हैं। परन्तु हरशी नहीं छोड़े जाते और उन पर मुकदमा चलाया जाता है। ये बातें हबशी जनता को डरपोक बना देती है और उसे आत्मरक्षा का उद्योग नहीं करने देतीं। आत्मरक्षा करनेवाले कितने ही निरपराध क्यों न हों और उनका जीवन, तन, धन कितने ही खतरे में क्यों न हो, वे हाथ तक उठाने से डरते हैं।"

एकिन का हत्याकाण्ड (सितम्बर की 'क्राइसिस' से)

सबके पश्चात् जो प्रभावशाली आन्दोलन हम लोग खड़ा कर सके हैं, वह ग़ैर क़ानूनी हत्यायों के विरुद्ध है। हम एक पीढ़ी से ऐसी हत्याओं का विरोध करते श्रा रहे हैं परन्तु अब भी हमें इस प्रथा से बहुत कुछ युद्ध करना है। एकिन, साउथ कैरोलिना में जो हत्याकाण्ड हुआ उसके विरुद्ध हम लोगों ने कुछ आन्दोलन किया था। साउथ कैरोलिना दक्षिण के अभिमानी राज्यों में से एक है और दक्षिण के एक-राज-सत्तावादियों का घर है। एकिन उत्तर के एक-राज-लत्तावादियों के शीतकाल का निवासस्थान है। इसी धनपतियों के प्राचीन राज्य में एक ऐसी घटना हुई जिससे प्रत्येक अमरीकावासी का सिर लज्जा से झुक जाना चाहिए। तीन गरीब हबशी एक अपराध में गिरफार किये गये। उन पर हत्या का अपराध लगाया गया। जल्दी में उनका मुकदमा हुया! नुकदमा क्या हुआ मुकदमे का मज़ाक हुआ। वे अपराधी सिद्ध हुए। उन्हें फांसी की आज्ञा दी गई। कुछ ही दिन रह गये थे कि साउथ कैरोलिना के