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दुखी भारत


एक हबशी वकील मिस्टर एन॰ जे॰ फ्रेडरिक ने अपने हाथ में उनका मुकदमा लिया। मिस्टर फ्रेडरिक ने साउथ कैरोलिना की बड़ी अदालत में इन मुकदमें की अपील की। यह, उस अदालत के लिए विशेषतः उस राज्य के लिए प्रशंसा की बात है कि ये मुक़दमे जाँच के लिए सरकिट अदालत को फिर दे दिये गये। इसलिए जब पुनः बार विचार होने लगा तब मिस्टर फ्रेडरिक ने एक दक्षिणी गोरे वकील मिस्टर एल॰ जी॰ साउथर्ड की सहायता से इन मुकदमें की पैरवी की। साउथ कैरोलिना की अदालतों में ये तीनों हबशी दो पुरुष और एक स्त्री-फिर विचार के लिए उपस्थित किये जाने लगे। मुकदमे समाप्त नहीं हुए थे कि जज ने मिस्टर फ्रेडरिक के प्रस्ताव करने पर तीने अपराधियों में से एक को निरपराध घोषित कर दिया। और इस बात की बड़ी सम्भावना थी कि शेष दो भी छोड़ दिये जायेंगे। परन्तु क्या हुआ? उसी रात गोरों का एक समूह एकत्रित हो गया। कानून के अफसरों के इशारे से सब जेल के भीतर घुस गये और उन दोनों पुरुष तथा उस स्त्री को बाहर वसीट लाकर गोली से मार दिया।

'अन्धकार और अज्ञानतामय' मिसीसिपी राज्य में क्या हुआ इसका वर्णन सितम्बर के 'क्राइसिस' में इस प्रकार है:-

"अन्धकार और अज्ञानतामय मिसीसिपी राज्य में कुछ दिन हुए जो हत्याकाण्ड हुश्रा था उस पर जरा विचार कीजिए। जब न्यूयार्क नगर में लाखों अमरीकावासी लिण्डबर्ग का गुणानुवाद करने के लिए एकत्रित हुए थे क्योंकि उसने अपने वैज्ञानिक उद्योग और सफलता से समस्त संसार के सम्मुख अमरीका का मस्तक उन्नत किया था, तब-उसी सुन्दर समय में जब कि लाखों अमरीकावासी केवल गोरे ही नहीं, काले हबशी भी न्यूयार्क-नगर में लिंडबर्ग का गुणानुवाद कर रहे थे-लग-भग एक सहस्र या इससे भी अधिक नर-पशुओं के समूह ने मिसीसिपी में दो हबशियों को अपने अधिकार में कर लिया था। दोने हबशी सगे भाई थे। दोनों पर पारा चलाने के कारखाने में दासों को बलपूर्वक भेजनेवाले एक श्रेोवरसियर की हत्या करने का अभियोग लगाया गया था। इस समूह ने उन दोनों हबशियों को सरकारी कर्मचारियों से छीन लिया। उसके पश्चात् उनके साथ क्या बर्ताव हुया? दोनों एक तार के खम्भे से बांध दिये गये, उन पर पेट्रोल उँडेल दिया गया और आग लगा दी गई।"