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चाण्डाल से भी बदतर


द्वार के पास से निकला तो इसी के द्वारा अपनी दोनों बांहों और पीठ में गोली से मारा गया।

स्थानाभाव के कारण पूर्वी सेंट लुइल की निदेय दुर्घटनाओं का वर्णन या उनके सम्बन्ध में वक्तव्य हम इससे अधिक नहीं उद्धृत कर सकते और न उनको संक्षेप में ही दे सकते हैं। क्राइसिस में जिन वास्तविक घटनाओं का वर्णन किया गया है उनके साथ ही पाठकों को अपनी कल्पना-द्वारा जो कुछ हुआ उसको स्पष्ट रूप से समझने के लिए निम्नलिखित मँजी हई सम्पादकीय टिप्पणी भी दे दी गई है।

"पहले एक भीड़ आती है जो कि सदैव एक भयानक वस्तु समझी जाती है। वह कायरता के साथ सड़कों पर इधर-उधर फिरती है। तब हबशी भागते हुए दिखाई पड़ते हैं। उनका शिकार किया जाता है। वे जीवन से निराश होते हैं। उसके पश्चात् कर चिल्लाहट सुनाई पड़ती है-'हबशी को पकड़ो।' गोलियों की वर्षा होती है। ईंट और पत्थर गिरते हैं। मांस-भक्षक गडासे चमकते हैं। निर्दय ज्वालाये' उटती हैं । और सर्वत्र लाश, रक्त, घृणा और भयङ्कर गर्व का साम्राज्य दिखाई पड़ता है।

"हमारे समस्त आखेट-सम्बन्धी गीत और वर्णन केवल आखेट करने वालों के गौरव से सम्बन्ध रखते हैं। शिकार खेलनेवाले उन दृश्यों को जैसा देखते हैं और अनुभव करते हैं वैसा ही वे उन्हें उपस्थित करते हैं। जिनका शिकार किया जाता है उनकी मनावृत्ति का, उनकी दशा का वर्णन किसी ने नहीं किया। पूर्वी सेंट लुइस के हबशियों ने संसार में इस विषय की जो कमी थी वह पूरी कर दी।"

इससे यह परिणाम न निकालना चाहिए कि इन दुखी प्राणियों के लिए पूर्वी सेंट लुइस की घटना सबसे निकृष्ट थी। तम्बाखू के कारखाने के एक मजदर ने, जिसे आततायियों ने डण्डों और ईटों से मारा था और जिसके सिर पर घाव का दाग पड़ गया था तथा बांहें टूट गई थी, अपने बयान में कहा कि:-

"मैं दक्षिण को कभी नहीं लौटूँगा। मुझे यहाँ चाहे जो हो जाय। क्योंकि दक्षिण में हमारे कुछ भाई सदैव ही मारे और जलाये जाते रहते हैं। मैं सेंट लुइस ही में रहूँगा।"