पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/१९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७३
चाण्डाल से भी बदतर-समाप्त


नृत्य का समारोह होता था तब निकाली जाती थी। बारूद टोपिर्या सरकार देती थी।"

गोरी सभ्यता को उसके सच्चे रूप में प्रकट करनेवाले अपने इन प्रमाणों के अध्याय को समाप्त करने से पहले हम बीसवीं सदी की घटनाओं से सम्बन्ध रखनेवाले कुछ उद्धरण भी दे देना चाहते हैं। ५० अप्रेल सन् १९०० ईसवी को अनवरोइज़ ट्रस्ट के लैकरोइक्स नामक किसी एजंट ने अएना निम्नलिखित अपराध स्वीकार किया था*[१]:-

"मैं न्यायाधीश के सन्मुख उपस्थित होने जा रहा हूँ। क्योंकि मैंने १५० मनुष्यों का वध किया है, ६० के हाथ काटे हैं, स्त्रियों और बच्चों को सताया है और बहुत से पुरुषों की गुप्तेन्द्रियाँ काट काट कर गाँव के टट्ठरों पर लटकाई हैं।"

मिस्टर मोरेल ने १९०३-१९०५ और उसके बाद की भी बहुत सी घटनाओं का वर्णन किया है। पर स्थानाभाव के कारण हम इन सबको नहीं दे सकते। यह अनुमान किसी तरह भी न करना चाहिए कि ये सव केवल प्राचीन इतिहास की बातें हैं । गत महायुद्ध के समय में और उसके पश्चात् भी उपनिवेशों में जर्मनी की निर्दयताओं की खूब चर्चा हुई थी। परन्तु वह स्वार्थ-भाव से अपने हित के लिए किया गया आन्दोलन-मात्र था। क्योंकि यदि ऐसा न हो तो इस बात के लिए आप क्या कहेंगे कि युद्ध के पश्चात् भी जर्मनी के इन ढोंगी सुधारकों-द्वारा कर कृत्य होते रहे हैं?

प्रसिद्ध फ़्रांसीसी लेखक श्रीयुत एम॰ अन्डर गाइड ने अभी हाल ही में दिल बहलाने के लिए अफ्रीका की यात्रा की थी। उनकी इस यात्रा का वर्णन 'नौवेली रिव्यू फ़्रांकेस ने प्रकाशित किया था। जिन जिन स्थानों में रबर उत्पन्न करनेवाली कम्पनियों का अधिकार था वहाँ वहाँ मिस्टर गाइड ने बड़े भयङ्कर दृश्य देखें। झांसीसी शासक एम॰ पाचा†[२] के पापों के सम्बन्ध में एक

  1. * उसी पुस्तक से पृष्ठ ५६
  2. † देखिए न्यू मासेज़, न्यूयार्क, जनवरी १९२८