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दुखी भारत

"इँग्लैंड के सिविल कानून ने पति को अपनी स्त्री पर शासन करने के लिए वही या उससे भी कड़ा अधिकार दिया था। इस कानून के अनुसार कुछ अनुचित कार्यों के लिए उसे अपनी स्त्री को कोड़ों और दण्डों से पीटने की आज्ञा थी। और दूसरे कुछ अपराधों के लिए मामूली दण्ड देने की आज्ञा थी।"

तृतीय जार्ज के शासन काल में जिस स्त्री पर हत्या का अभियोग लगाया जाता था वह घसीट कर जीवित जला दी जाती थी।[१]

मिस हेकर का कहना है कि 'स्त्री की स्वतन्त्रता पर पति के शासन का अधिकार तब तक पूर्ण रूप से निर्मूल हुआ नहीं कहा जा सकता जब तक १८९१ ई॰ में रेग बनाम जैकसन का मुकदमा नहीं उपस्थित हुआ था। इँग्लैंड में पत्नी को पीटना आज भी एक साधारण अपराध समझा जाता है[२]।' यह १९११ के सुन्दर वर्ष की बात है।

सम्पत्ति पर स्त्रियों के अधिकार के सम्बन्ध में यह हाल है कि १९वीं सदी के तीन चौथाई भाग के समय तक विवाहित अवस्था में स्त्री को यह अधिकार नहीं था कि वह बिना अपने पति की अनुमति के अपनी भूमि किसी और के नाम मलगा दे। विधवा को पति-दत्त उपहार के रूप में उस भूमि का एक तिहाई भाग जीवन-पर्यन्त तक के लिए मिलता था जिसे पति वैवाहिक जीवन में किसी रईस की ओर से युद्ध करने के बदले में पाता था।

"हमारा कानून पति और पत्नी दोनों के बीच में किसी प्रकार की सम्मिलित सम्पत्ति की व्यवस्था नहीं करता। चल-सम्पत्ति के सम्बन्ध में भी नहीं। विवाह के समय जो भी चल-सम्पत्ति स्त्री के पास रहती है वह सब पति की हो जाती है। और वैवाहिक जीवन के समय में स्त्री को जो भी सम्पत्ति प्राप्त होती है उस सब पर पति का अधिकार हो जाता है। और पति बिना उसकी अनुमति

के उसके दिये हुए समस्त ऋणों को नालिश करके वसूल कर सकता है[३]।"


  1. मिस हेकर कृत उसी पुस्तक से, पृष्ठ १२६।
  2. उसी पुस्तक से, पृष्ठ १२७।
  3. मिस हेकर द्वारा पोलक और मेटलैंड के लेख का उद्धारण। उसी पुस्तक से, पृष्ठ १२९।