पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/२२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२१२
दुखी भारत

मिस मेयो का यह वक्तव्य बिलकुल बेढङ्गा है कि कट्टर हिन्दू-धर्म में विधवा-विवाह एक असम्भव बात है। इसमें सन्देह नहीं कि कट्टरता है और ख़ूब है। मैं ऐसे अनेक कट्टर हिन्दुओं को जानता हूँ जिन्होंने अपनी विधवा पुत्रियों और विधवा पुत्र-वधुओं को पुनर्विवाह की आज्ञा दी है। मदर इंडिया के ८६ वें पृष्ठ पर लिखा गया मिस मेयो का यह वक्तव्य कि हिन्दू विधवा का पुनर्विवाह अब भी 'कल्पनातीत' है, असत्य से किसी अंश में कम नहीं है।

दूसरे वैधव्य जीवन व्यतीत करने के नियम सब प्रान्तों में या सब जातियों में एक ही नहीं हैं। उत्तर-पश्चिम सीमा-प्रान्त में, पञ्जाब में, संयुक्त-प्रान्त में या राजपूताने में मैंने हिन्दू विधवा को सिर मुँड़ाते कहीं नहीं देखा।