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दुखी भारत

सकती तथापि ऊपर वर्णन की गई बातों का पालन करने से वह घर में रख ली जा सकती है या निकाल दी जा सकती है तब वह चाहे भिक्षा-वृत्ति करके अपना निर्वाह करे चाहे वेश्या-वृत्ति करके। अधिकतर वह वेश्यावृत्ति ही स्वीकार करती है। वह मैले कुचैले चिथड़े पहने, सिर मुँड़ाये, दुःखी जीवन से धँसा जाता हुआ चेहरा लिये मन्दिरों की भीड़ में या तीर्थ-स्थानों की गलियों में प्रायः दिखाई पड़ती है। वहाँ कंजूस पुण्यात्मा लोग कभी कभी उसे एक मुट्ठी चावल दे देते हैं।

मिस मेयो यह कहकर कि 'विधवा क़ानून की दृष्टि से अपनी रक्षा का दावा नहीं कर सकती' केवल हिन्दू-क़ानून से अपनी अनभिज्ञता प्रकट करती है। मृतक हिन्दू की जायदाद से उसकी विधवा को निवास और भरण-पोषण का हक़ सबसे पहले रहता है। उसके मृतक पति की सामाजिक स्थिति के अनुसार इस बात की व्यवस्था की जाती है।