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सत्रहवाँ अध्याय
निःशुल्क-शिक्षा

मिस मेयो को यह ज्ञात होना चाहिए कि दूसरे देशों के सरकारी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। परन्तु भारतवर्ष में प्रत्येक गवर्नमेंट स्कूल में प्रत्येक विद्यार्थी से फ़ीस ली जाती है।

मदर इंडिया के १२९ और १३० पृष्ठों पर निम्नलिखित वक्तव्य देखने में आता है:–'प्रायः भारतवर्ष के सभी धनी मनुष्य आज अपने हृदय में यही सोचते हैं कि यदि उनकी पुत्रियों को शिक्षा दी भी जा सकती है तो तभी जब सरकार उनके लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कर दे।' मिस मेयो ने अपनी पुस्तक में जैसे अन्य बेसिर-पैर की बातें लिख मारी हैं वैसी ही एक बात यह भी है। कठिनाई यह है कि ऐसे समस्त वक्तव्यों के पक्ष में वह कोई प्रमाण नहीं उद्धृत करती। लाहौर के कई एक कन्या-पाठशालाओं और कालेजों की नियमावली इस समय मेरे सामने मौजूद हैं। उनमें से नीचे मैं फ़ीस का विवरण देता हूँ:–

महिला गवर्नमेंट कालेज

(छात्राओं की संख्या लगभग ६० है। इनमें से ३० छात्रावास में रहती हैं)

इन्टर मेडिएट की कक्षाओं की पढ़ाई की फ़ीस......६० रुपये वार्षिक इन्हीं कक्षाओं की प्रवेश फ़ीस............२ रुपये।

विश्वविद्यालय से रजिस्ट्री कराने की फ़ीस......५ रुपये।

डिग्री की कक्षाओं की पढ़ाई की फ़ीस......११४ रुपये।

प्रवेश-फ़ीस (बी॰ ए॰)........... २ रुपये।

विश्वविद्यालय की विशेष फ़ीस.......३ रुपये।