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पश्चिम में कामोत्तेजना

यह निष्कर्ष एलिस के इस निरीक्षण में भी मिलता है कि[१]––

"नियमानुकूल विवाह करने की आयु में क्रमशः वृद्धि से भी यही बात सिद्ध होती है। इतना ही नहीं, इससे केवल स्वतंत्र सम्बन्धों की वृद्धि का ही पता नहीं चलता परन्तु विवाह के बाहर भी क्षम्य और अक्षम्य सब प्रकार के अनुचित-सम्बन्धों की वृद्धि प्रकट होती है।"

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जो स्वयं पवित्र हो वह पत्थर फेंके तो एक बात भी है। मिस मेयो का यदि कोई राजनैतिक स्वार्थ न होता तो वह अमरीका के बालक-बालिकाओं की काम-विपयक बातों की ओर ध्यान आकर्षित करके अपने देश का अधिक उपकार करती। अमरीका के एक सच्चे और उत्साही सुधारक श्रीयुत बेन लिन्डसे ने[२], जो बालकों की एक अदालत के २५ वर्ष तक जज भी रह चुके हैं, जिन बातों का भण्डाफोड़ किया है उनका पढ़ना बहुत अच्छा नहीं लगता। परन्तु लिन्डसे ने जो कुछ लिखा है वह इधर-उधर की बातों पर नहीं, बल्कि सन सच्ची बातों पर अवलम्बित है जिनका उसने अपना जजी का कार्य करते समय स्वयं अनुभव किया था।

जज लिन्डसे ने हाई स्कूल के बालकों और बालिकाओं के जीवन से अपनी पुस्तक की सामग्री ली है। ये बालक-बालिकायें भी ऐसे वैसे नहीं, सम्पन्न और सम्माननीय घरानों के हैं। जब लिन्डस को इस परिणाम पर पहुँचना पड़ा है कि 'अमरीका की साधारण बालिका अपने मस्तिष्क के सँभालने या नियन्त्रण करने के योग्य परिपक्व होने से वर्षों पहले कामोचेजना का अनुभव करने लगती है।

जज लिन्डसे कहते हैं कि––"इन हाई स्कूल के छात्रों और छात्राओं के सम्बन्ध में पहली बात यह है कि जितनी युवक और युवतियाँ सहभोजों में या नाच में भाग लेती हैं या एक साथ मोटरगाड़ियों में बैठ कर सैर करती हैं उनमें ९० प्रतिशत ऐसी होती हैं जो आलिङ्गन और चुम्बन में आनन्द लेती हैं।


  1. एलिस। उसी ग्रन्थ से––पृष्ठ ३७८।
  2. आधुनिक युवकों की बगावत। बोनी एण्ड लिवरीघट, न्यूयार्क १९२५––अध्याय ५––७।