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मिस्टर विन्सटन चर्चिल के लिए एक उपहार


'उसी दिन दो बालिकाओं पर आक्रमण करने के लिए चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।'

'तीन छोटे बच्चों पर आक्रमण करने के अपराध में—मुक़दमे का विवरण प्रकाशित करने के योग्य नहीं है—पांच पौंड का जुर्माना किया गया।'

'बारह वर्ष के शिशु पर आक्रमण करनेवाले को (जिस पर पहले उसी प्रकार के ६ अपराध लगाये जा चुके थे) तीन मास की सज़ा दी गई।'

'एक धूल झाड़नेवाले सज्जन' अपने पाठकों को स्मरण दिलाते हैं कि 'हम साइबेरिया के सम्बन्ध में नहीं पढ़ रहे हैं। हम संसार के सबसे बड़े देश के सम्बन्ध में और उस देश के सबसे बड़े शहरों के सम्बन्ध में पढ़ रहे हैं। क्या आर्थिक परिस्थितियों के गौण परिणामों की ओर बहक जाना मूर्खता नहीं है? स्त्रियां बहुत बुरी होती जा रही है। नैतिक अध:पतन हो रहा है। अर्थ-शात्र से इन बातों का कोई सम्बन्ध नहीं। जो सबसे धनी हैं उनमें भी और जो सबसे दरिद्र हैं उनमें भी यह प्रवृत्ति देखने में आती है। गृह और शिक्षा के सुप्रबन्ध से यह समस्या हल नहीं हो सकती। समाज के प्रत्येक वर्ग में और समस्त दशाओं में सदाचार को कोई स्थान प्राप्त नहीं रह गया। इन बातों से भिन्न स्त्री सर्वत्र असामयिक समझी जाती है।"

मिस्टर विन्सटन चर्चिल ब्रिटिश कैबिनट के एक सदस्य हैं। उन्होने डिपार्टमेन्टल कमेटी का वह विवरण देखा होगा जिसे सम्राट् ने छोटे बच्चों के विरुद्ध किये गये काम-वासना पूर्ण अपराधों की जांच करके पार्लियामेंट में उपस्थित करने की आज्ञा दी थी[१]। इस विवरण पर २ दिसम्बर १९२५ की तारीख़ पड़ी है। इसके सदस्यों में तीन ब्रिटिश-महिलाएँ थीं। यह कमेटी पहले २८ जुलाई सन् १९२४ ईसवी को मज़दूर-दल में बनाई थी। और फ़रवरी १९२५ ईसवी में साम्राज्यवाद-दल ने भी इसे स्वीकार कर लिया था। इस दल ने पुराने सभापति के मर जाने पर एक नया सभापति चुना था। इस कमेटी के विवरण के अग्रलिखित अंश मिस्टर चर्चिल को भेंट करता हूँ।


  1. सम्राट् के स्थायी कार्य्यालय से प्रकाशित, १९२६। (सी॰ एम॰ डी॰ २५६१) हाल ही में लेडी अस्टर की अध्यक्षता में एक डेपुटेशन सर डब्लू॰ एम॰ ज्वान्सन हिक्स से मिला था कि इस विवरण में सिफ़ारिश की गई बातों के अनुसार कार्य्य आरम्भ किया जाय और स्वीकृति की आयु १४ वर्ष से बढ़ाकर १६ वर्ष कर दी जाय।