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मिस्टर विन्सटन चर्चिल के लिए एक उपहार

"यह तो सम्भव हो सकता है कि भिन्न भिन्न शिशुओं के प्रति इतने अपराध करनेवाले को प्रथम अपराध में समर्थन करनेवाले के अभाव में छोड़ दिया जाय। परन्तु यह बात समझ में नहीं आती कि उसके पश्चात् भी वह व्यक्ति दूसरे शिशुओं पर आक्रमण करता रहता है और कानून उसका कुछ न कर सकता। अन्त में जब वह ऐसी परिस्थिति में पाप करता है जिसमें शिशु के बयान के समर्थक मिल जाते हैं तब कहीं जाकर उसे सजा मिलती है।"

१३ वर्ष से १६ वर्ष की आयु तक की बालिकाओं के सम्बन्ध में इस कमेटी की सम्मति है कि ऐसी जितनी घटनाओं का पता पुलिस और अदालत को चलता है वास्तविक संख्या उससे कहीं बढ़ कर होती है! कमेटी कहती है:––

"इस प्रकार के अपराध में वे घटनाएँ हैं जिनमें बालिका और उसको भ्रष्ट करनेवाले पापी के अतिरिक्त यह बात किसी और को मालूम नहीं हो पाती। ऐसे अपराधों का पता गर्भधारण के पश्चात् चलता है। इनमें से अधिकांश कुमारियाँ संरक्षण-गृहों, या मातृ-भवनों में जाकर गुप्तरूप से शिशु को जन्म दे आती हैं और पुलिस को कभी सूचना तक नहीं मिलती कि कोई अपराध हुआ है।

"स्वास्थ्य-विभाग के मंत्रि-मण्डल की सहायता से हमें ऐसी 'माताओं और शिशुओं' के लिए खुले ७२ गृहों की जाँच करने का अवसर मिला। हमें १ जून १९२५ ईसवी को समाप्त होनेवाले वर्ष में इन गृहों में १६ वर्ष से कम आयु में गर्भवती होनेवाली जो कुमारियां शिशुओं को जन्म देने आई थीं उनकी संख्या का भी पता चला है। ३५ गृहों से यह मालूम हुआ कि उस वर्ष उनमें ऐसी कोई कुमारी नहीं भर्ती हुई। ३७ गृहों के विवरण से ज्ञात हुआ कि उनमें १६ वर्ष से कम आयु में गर्भवती होनेवाली कुल ७८ कुमारियां भर्ती की गई थीं। इन ७७ कुमारियों में से ४४ के साथ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई। इस प्रकार ज्ञात अपराधों में ५६ प्रतिशत ऐसे हुए जिन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

"यह स्मरण रखना चाहिए कि १६ वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के साथ जो भ्रष्टाचार किये जाते हैं उनमें बहुत न्यून दशाओं में गर्भधारण होता है। अपराधों के संख्या-चक्र से ज्ञात होता है कि १६ वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के विषय-भोग-सम्बन्धी ज्ञान के २०० अपराध प्रति वर्ष पुलिस को मालूम होते हैं। इन २०० अपराधे में 'व्यभिचार के असफल उद्योग' भी सम्मिलित हैं। जब केवल अविवाहिता माताओं के लिए ३७ जनन-गृहों से ७८ गर्भधारण की घटनाओं का पता चलता है और ऐसी 'माताओं और