पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७
विषय-प्रवेश

लेखिका ने अपने सब उद्धरणों को या एकान्त के अनुभवों को सचाई के साथ नहीं वर्णन किया। मैं उनको दिखलाऊँगा जिनकी मुके निजी तौर-पर जानकारी है। पुस्तक अनेक ऐसे प्रासङ्गिक प्रकरणों से उधेड़े हुए वाक्यों और उद्धरणों से भरी है जिनका सप्रमाण विरोध किया जा चुका है।

लेखिका ने कवीन्द्र का नाम बाल-विवाह के साथ जोड़ कर औचित्य के सब भावों को बुरी तरह घायल किया है। कवीन्द्र ने निस्सन्देह आरम्भ-काल के विवाह के लिए लिखा है कि वह बुरा नहीं है। परन्तु वाल-विवाह और आरम्भ काल के विवाह में ज़मीन आसमान का अन्तर है। यदि वह शान्ति-निकेतन की स्वाधीन और स्वतन्त्रता-प्रिय बालिकाओं तथा स्त्रियों से परिचय प्राप्त करने का कष्ट करती तो कवीन्द्र के आरम्भ-काल के विवाह का अर्थ समझ जाती।

अपने तकों के पक्ष में स्थान स्थान पर मुझे उपस्थित कर उसने मेरा बड़ा सम्मान किया है। पर कोई व्यक्ति जब एक सुधारक के रोज़नामचे से वाक्यसमूह इकट्ठा करता है और उन्हें उनके प्रासङ्गिक प्रकरणों से उधेड़ कर उन्हीं के बल पर उस जाति को, जिसके बीच में कि उस सुधारक ने काम किया है, अपराध लगाने का प्रयत्न करता है, तो वह पक्षपातरहित और बुद्धिमान पाठकों या श्रोताओं पर अपना कुछ प्रभाव नहीं डाल सकता।

परन्तु हर एक चीज़ को जो भारतीय हो बुरे भाव से देखने की जल्दी में उसने मेरे लेखों के साथ स्वतन्त्रता ही नहीं की बरन् उन बातों का, जिनका सम्बन्ध उसने या दूसरे लेखको ने मेरे साथ जोड़ा है, मुझसे पूछ कर निर्णय कर लेने की आवश्यकता भी नहीं समझी।.........

उसकी पुस्तक का उन्नीसवाँ अध्याय भारत सरकार की सफलताओं की प्रशंसा में प्रमाणों का संग्रह है। उनमें से लगभग सबों की सत्यता सिद्ध करने के लिए निष्पक्ष और सच्चे अँगरेज़ तथा भारतीय लेखकों ने बार बार उसे चैलेंज किया है। सत्रहवां अध्याय यह दिखलाने के लिए लिखा गया है कि हम 'संसार में सबसे पतित' हैं। यदि मिस मेयो के उद्योगों के परिणामस्वरूप राष्ट्रसंघ यह घोषणा करने के लिए प्रभावित हो जाय कि भारतवर्ष बहिष्कृत देश है और हम लोगों की लूट खसोट के योग्य बिलकुल नहीं है तो मैं बिना सन्देह कह सकता हूँ कि इससे पूर्व और पश्चिम दोनों लाभ में रहेंगे। उस दशा में हम भले ही आपस में लड़ मरें। हिन्दुओं को मिस मेयो के धमकाने के अनुसार उत्तर पश्चिम और मध्य एशिया की लुटेरी जातियों भले ही निगल जाएँ। पर हमारी वह दशा इस बढ़ते हुए अपौरुष से लाख दर्जे अच्छी होगी। जैसे बिजली से प्राणहरण करने का ढङ्ग जीवित उबालने के पीडाजनक ढङ्ग से अधिक दयापूर्ण है वैसे ही मिस मेयो के कथना-