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मिस्टर विन्सटन चर्चिल के लिए एक उपहार

३––बलात्कार-पूर्वक विषय-भोग के अपराधों की संख्या यथेष्ट रूप से घट गई है।

४––१६ वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं पर गन्दे उद्देश्य से आक्रमण करने के अपराधों की संख्या यथेष्ट रूप से बढ़ गई है। यह बात अपराधों के अङ्क-चक्र में दिवाई जा चुकी है।

सरकारी काग़ज़ों में दिखाये गये ऐसे अपराधों की वृद्धि कहाँ तक ठीक है? इस सम्बन्ध में हमें जो प्रमाण मिले है वे विवाद-ग्रस्त हैं। इन समस्त साक्षियों और प्रमाणों की गम्भीरता के साथ परीक्षा करने के उपरान्त इम इस निश्चय पर पहुँचते हैं कि अल्प-वयस्कों पर किये गये गन्दे आक्रमणों की संख्या में वृद्धि हुई है।

५––शिशुओं या अल्प-वयस्कों के हितों से सम्बन्ध रखनेवाली सज़ाओं के घटा देने के कारण अब इन पर जो गन्दे आक्रमण होते हैं उनमें बलात्कारपूर्वक व्यभिचार करने के भयङ्कर अपराध भी सम्मिलित होने लगे हैं। ऐसे अपराधों की वृद्धि के सम्बन्ध में गम्भीरता के साथ विचार करने का एक यह भी कारण है।"

बहुत से साक्षी देनेवालों ने कमेटी से यह सिफ़ारिश की कि चाचा और भतीजी के बीच किया गया व्यभिचार भी माता-बहन के साथ किये गये व्यभिचार के दण्ड-नियम के अनुसार दण्डनीय ठहरा दिया जाय। इसके अतिरिक्त कमेटी को ये सिफारिशें विशेषरूप से करनी पड़ी कि पुत्रियों पर पिताओं के गन्दे आक्रमणों को रोकने के लिए क़ानून बनाये जायँ।

पूरे पाँच पैराग्राफ (८३-८८) 'बुजुर्गों' के अपराधों––अधिक आयु के लोगों के अल्प आयुवालों पर गन्दे अक्रमणों––के विवरण से भरे हैं। ८४ वें पैराग्राफ़ में हम पढ़ते हैं:––

"हमारा ध्यान ऐसे गन्दे उदाहरणों की ओर भी आकर्षित किया गया है जिनमें वृद्ध लोग छोटे बच्चों पर गन्दे आक्रमण करते हैं। उनके विरुद्ध कार्यवाही करने की कठिनाइयों को भी हमें बताया गया है। ये कठिनाइयाँ और भी बढ़ जाती हैं जब अपराध का कारण कुछ शारीरिक या मानसिक सम्बन्ध होता है। हम यह निश्चय करते हैं कि यदि किसी वृद्ध मनुष्य पर किसी ऐसे अपराध का अभियोग लगाया जाय, तो उसको दण्ड देने का सबसे अच्छा

उपाय यह है कि जहाँ उसके सम्बन्धी हों और उसका उत्तरदायित्व अपने ऊपर

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