पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/३०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८५
हमारे परिचित विश्व-निन्दक-वृन्द

अँगूठी देखी। उस महिला ने कहा––'राजा साहब, आपर्का अँगूठी में क्या सुन्दर नग जड़ा हुआ है! क्या मैं इसे देख सकती हूँ?” राजा ने कहा––'अवश्य,।' इसके पश्चात् उसने अपनी अँगुली से अँगूठी निकाल कर उस महिला की तश्तरी के पास रख दी। उस महिला ने, जो एक उच्च कुल की थी, अँगूठी को इधर-उधर उलटा, उसे प्रकाश के पास ले जाकर देखा, उसकी समुचित प्रशंसा की और तय उसे उसके स्वामी की तश्तरी के पास रख दिया। राजा ने तब तिर्यग्द्दष्टयावलोकन करते हुए अपनी कुर्सी के पीछे खड़े अपने नौकर से अँगूठी उठा लेने का निर्देश किया, उसे आज्ञा दी––'इसे धो लायो।' और बिना किसी प्रकार की बाधा के वह पुनः वार्तालाप में निमग्न हो गया।"

यह राजा कौन था? लन्दन की यह घटना कब घटित हुई? और इस वक्तव्य के लिए मिस मेयो के पास प्रमाण क्या है? निस्सन्देह इन प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं हो सकता। मिस मेयो इस स्पष्ट बात की अवहेलना करती है कि इस ढङ्ग का कट्टर राजा कभी 'लन्दन के प्रीति-भोज में' नहीं सम्मिलित हो सकता। इस बात के सामने यह सम्पूर्ण कथा कोरी गढ़न्त प्रतीत होती है। अवश्य किसी कहानी गढ़नेवाले से उसे यह कथा प्राप्त हुई है।