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गाय भूखों क्यों मरती है?


पशुओं के लिए चारा न उत्पन्न करने की हिन्दुओं की लापरवाही के लिए उन्हें धिक्कारने में मिस मेयो ने भारतीय कृषि की अमरीका के साथ तुलना करने की तथा उसकी परिस्थितियों के सम्बन्ध में अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है। पहली बात तो यह है कि संयुक्त राज्य (अमरीका) का क्षेत्रफल भारतवर्ष के क्षेत्रफल से दूना है परन्तु उसकी जन-संख्या भारतवर्ष की जनसंख्या की केवल एक-तिहाई है। दूसरी बात यह है कि वहां 'वार्षिक लगान' की भांति कोई पद्धति नहीं हैं। तीसरी बात यह है कि वहां के पशुपालकों को इस व्यवसाय में सरकार की ओर से यथेष्ट सहायता मिलती है। क्योंकि वहां भूमि की अधिकता और जन-संख्या की कमी के कारण इसकी आवश्यकता भी प्रतीत होती है। चौथी बात यह है कि वहाँ के निवासी इतने गरीब नहीं होते कि उन्हें सरकार को भूमि का कर चुकाने के लिए और अपने कुटुम्बों को जीवित रखने के लिए 'अधिक दाम दिलानेवाली' खेती करने के लिए विवश होना पड़े। भारतवर्ष में खेती के काम में आनेवाली भूमि के प्रत्येक बीघे पर कर लगाया जाता है।

इस बात में भारतवर्ष की संयुक्तराज्य (अमरीका) के साथ कोई तुलना नहीं हो सकती। संयुक्त राज्य में लाखों एकड़ भूमि ऐसी है जो पशुओं के लिए चारा उत्पन्न करने के अतिरिक्त और किसी काम में आही नहीं सकती। मिस मेयो को यह बात मालूम होगी कि संयुक्त राज्य में पशुओं की एक बड़ी संख्या का पालन-पोषण केवल मांस के व्यवसाय के लिए किया जाता है। लाखों पशु, जिनमें गाय भी सम्मिलित होती है, वहाँ इसी भवसाय के लिए मारे जाते हैं।

तो भी, मैं यह स्वतन्त्रता के साथ स्वीकार करता हूँ कि सम्पूर्ण योरप और अमरीका में दूध देनेवाली गायों की देख-रेख भारतवर्ष की अपेक्षा अधिक अच्छी तरह की जाती है। भारतवर्ष में गाय की जो अवहेलना की जाती है इसके बहुत से कारण हैं। मुख्यतः आर्थिक कमी से ऐसा होता है। संसार के समस्त राज्यों ने सबको दूध पहुँचाने के प्रश्न पर कार्य्य:शीलता और गम्भीरता के साथ विचार किया है। बालकों की स्वास्थ्य-युक्त वृद्धि के लिए और राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए दूध, अच्छे दूध, की आवश्य-