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भारतवर्ष––वैभव का घर

एलफ़िन्स्टन के निम्नलिखित उद्धरण से मिस मेयो के उस वक्तव्य का पुनः खण्डन हो जाता है जो उसने अँगरेज़ों के शासन-काल से पूर्व के भारत की सड़कों के सम्बन्ध में कहा था[१]

"शेरशाह ने बङ्गाल से सिन्धु नदी के निकट पश्चिमी रोहतास तक चार मास की यात्रा की लम्बी सड़क बनवाई थी। उसके प्रत्येक पड़ाव पर एक सराय और प्रत्येक डेढ़ मील पर एक कुआ था।......सड़क के दोनों ओर यात्रियों को छाया प्रदान करने के लिए उसने वृक्षों की पंक्तियां लगवाई थीं। ८२ वर्ष के पश्चात् भी वह इस लेखक को अधिकांश स्थानों में बिल्कुल वैसी ही मिली जैसा कि ऊपर वर्णन किया गया है।"

रिफ़ार्म पैम्फलेट ने जिन प्रामाणिक लेखकों के वक्तव्य उद्धृत किये हैं उनमें पीटरो डल बेली नामक एक इटली का यात्री भी है। उसने १६२३ ईसवी में लिखा था[२]:––

"प्रायः सभी शान के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। क्योंकि राजा अपनी प्रजा को झूठी शिकायतों पर दण्ड नहीं देता और जब उनको शान से धनाढ्य की भांति रहते देखता है तब उनकी किसी वस्तु से उन्हें वञ्चित नहीं करता"

औरंगज़ेब के सम्बन्ध में हम पढ़ते हैं[३]:––

"औरंगजेब और उसके पश्चात् के क्रमानुसार निर्बल और के शासन तथा नादिरशाह, जो १७३९ ई॰ में दिल्ली छोड़ते समय अपने साथ विपुल सम्पत्ति ले गया था, के आक्रमण के होते हुए भी देश की दशा अच्छी ही थी।"

अँगरेज़ों के शासन काल से पूर्व भारतवर्ष के भिन्न भिन्न प्रान्तों की क्या आर्थिक स्थिति थी? इसके सम्बन्ध में भी हम कुछ प्रमाण उद्धृत कर देना


  1. एलफ़िन्स्टन, भाग २, पृष्ठ १५१, रिफार्म पैम्फलेट, पृष्ठ १०-११
  2. रिफार्म पैम्फलेट, पृष्ठ १२।
  3. उसी पुस्तक से, पृष्ठ १६