पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१
विषय-प्रवेश


मित्र की तरह अधिकांश अतिथि भी पाश्चात्य-शिक्षा-द्वारा-जीविका चलानेवाले बङ्गाली हिन्दू थे। वे भारत से ब्रिटेन के भावी प्रथक्करण और देश पर स्वयं शासन करने के सम्बन्ध में बड़ी देर तक बोलते रहे। मैंने पूछा—'और देशी-नरेशों के विषय में आप लोगों का क्या विचार है?' एक ने आत्मविश्वास के साथ कहा—'हम उन्हें निर्मूल कर देंगे।' और शेष सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दी।"

उपरोक्त वक्तव्य की जांच करने के लिए नामों के अभाव में इस घटना का पता लगाना कठिन था। पर जितने लोग ऐसी दावत दे सकते थे या इसमें सम्मिलित हो सकते थे उन सबसे पूछने पर ज्ञात हुआ कि असोसिएटेट प्रेस के मिस्टर के॰ सी॰ राय ने एक प्रीति-भोज दिया था जिसमें बहुत से भारतीय निमन्त्रित किये गये थे। मिस्टर के॰ सी॰ राय के सहकारी मिस्टर सेन केवल दूसरे बङ्गाली सज्जन थे जो वहाँ उपस्थित थे। मिस्टर के॰ सी॰ राय ने मुझे इस बात का विश्वास दिलाया है कि उस सम्मिलन में जो बातें हुईं उनके सम्बन्ध में मिस मेयो का कथन (यदि वह उसी सम्मिलन का वर्णन करती है) बिलकुल असत्य है। श्रीमती के॰ सी॰ राय मुझे अपने एक पत्र में लिखती हैं:—

"मिस मेयो जब दिल्ली में थीं तो हमने उन्हें स्थानीय मेडन्स होटल में एक सहभोज दिया था। वे हमारे पास बड़े महत्त्वपूर्ण परिचय पत्रों के साथ आई थीं। दावत में केवल दो बङ्गाली थे। मेरे पति और मिस्टर सेन। शेष एक भी बङ्गाली नहीं था। हमारे अतिथियों में इंडिपेंडेंट दल के नेता मिस्टर एम॰ ए॰ जिन्ना और मिस्टर एस॰ चेटी मुख्य थे। जैसा मुझे स्मरण है भारतीय विधानात्मक उन्नति, स्वराज्य, हिन्दू मुसलिम समस्या, शिशु-रक्षा, और दिल्ली की कला और संस्कृति पर वादविवाद हो रहा था। मुझे यह याद नहीं है कि भारतीय नरेशों के सम्बन्ध में भी विचार हुआ था। जो भी हो, इतना तो मुझे मालूम है कि 'नरेशों को निर्मूल करने की कोई बात नहीं हुई।"

महात्मा गान्धी और कवीन्द्र रवीन्द्र की वैद्यों और डाक्टरों से सम्बन्ध रखनेवाली जिन सम्मतियों का वह उल्लेख करती है उन्हें वे सर्वथा अस्वी-