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उद्धरण देने का अपराधी ठहराया है। किसी विषय में टैगोर का उसने बड़ी धूर्तता के साथ उल्लेख दिया है, और ऐसी सम्मतियों को उनकी बताया है जिनका उन्हें कभी स्वप्न में भी ध्यान नहीं था। यहाँ हम न्यूयार्क के 'नेशन' के ४ थी जनवरी के अङ्क में प्रकाशित टैगोर के पत्र के कुछ अंश उद्घृत करते हैं:—

संयोगवश मैं उन लोगों में हूँ जिन्हें लेखिका ने अपनी स्मृति से विशेष आदर प्रदान किया है और अर्द्धनिशा में निशाना लगाने का लक्ष्य बनाया है। यद्यपि दूर तक फैली हुई इस शैतानी से अपनी रक्षा करना मेरे लिए बिलकुल कठिन है तथापि मैं आपके पत्र-द्वारा कम से कम अपने कुछ मित्रों के कानों तक, जो अटलांटिक के दूसरे छोर पर रहते हैं, और जो मुझे विश्वास है, एक आकस्मिक यात्रीद्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र के विरुद्ध ऐसे दिल-दहलानेवाले वर्णनों की सचाई पर साधारणतः विश्वास करने से पहले अपने निर्णय को स्थगित रखने का वीर-भाव रखते हैं, यह आवाज़ पहुँचाना चाहता हूँ।

अपने बचाव के लिए मैं इस देश की सामाजिक बुराइयों के अत्यन्त निर्भय समालोचकों में से एक मिस्टर नाटराजन के लेख का आगे लिखा अंश काम में लाऊँगा।

मिस मेयो ने केसरलिङ्ग की 'बुक आफ मैरिज' में दिये गये मेरे लेख के कुछ वाक्यों को जानबूझ कर जो तोड़ा मरोड़ा है और धूर्तता से उनके वास्तविक अतलब को छिपाकर और अपना बुरा उद्देश्य सिद्ध करने के लिए उन्हें पूर्णतः असत्य सम्मति के रूप में ढाल कर मुझे जो अपराध लगाया है, संयोग से मिस्टर नाटराजन ने उसी को अपने लेख का विषय बनाया है। वे लिखते हैं:—

"टैगोर अपने लेख के अन्त में, पूरे पाँच पृष्ठों में विवाह का अपना खास आदर्श उपस्थित करते हैं (केसर्लिङ्ग पृष्ठ १५७ और आगे)। वे कहते हैं—'एक अकेले भारतीय की हैसियत से इस लेख के अन्त में मैं विवाह के आम प्रश्न पर अपनी निजी राय भी दे देना चाहता हूँ।' उनकी यह धारणा है कि विवाह भारत में ही नहीं, सारे संसार में आरम्भ काल से लेकर आज तक स्त्री पुरुष के वास्तविक मेल में बाधक बना है। यह बाधा तभी दूर हो सकती है 'जब समाज घर के रचनात्मक कार्य्य को बिना कम किये स्त्रियों के विशेष मानसिक गुणों के प्रस्फुटन का एक बड़ा क्षेत्र तैयार करने के योग्य हो जाय।