पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७
विषय-प्रवेश


सरकार के पत्र से मिस मेयो की एक और झूठ का भंडाफोड़ हुआ है। हम आवश्यक अंश नीचे उद्धृत करते हैं:—

"लार्ड सिनहा अपने सम्बन्ध की कोई भी बात प्रकट नहीं होने देना चाहते थे। इससे उन्हें आन्तरिक घृणा थी। मिस मेयो की मदर इंडिया में एक महान वकील' शीर्षक का एक अध्याय (सोलहवाँ अध्याय) है। इस अध्याय में मिस मेयो एक उच्च घराने के हिन्दू के साथ, जो एक प्रभावशाली वकील भी है, अपनी बातचीत का वर्णन करती है। पर मिस मेयो ने नाम प्रकट नहीं किया क्योंकि 'ऐसा करना उक्त सज्जन का निरादर-मात्र होता।'

"यह हिन्दू वकील लार्ड सिनहा के अतिरिक्त और कोई नहीं है। इस बात को उन्होंने स्वयं स्वीकार किया था। उनके कुछ मित्रों को मालूम भी है कि यह मिलाप उनके ही घर पर १७, इलिज़िय रो में हुआ था।

"इस मिलाप में लार्ड सिनहा ने शिकायत की थी कि बङ्गाल के गाँवों की दशा बहुत शोचनीय है पर सरकार उस ओर उचित ध्यान नहीं देती। हमें मालूम हुआ है कि लार्ड सिनहा के शब्द ये थे—'इसमें सन्देह नहीं कि सरकार बहुत कुछ और बहुत शीघ्र कर सकती थी पर वह हमारे ग्रामीण भाइयों को भूखों मार रही है।' मिस मेयो लाई सिनहा का मज़ाक उड़ाती हुई इस वक्तव्य के ढकने के लिए कहती है कि 'न्यूयार्क के एक बड़े वकील की जैसी आय होने पर भी' इस धनी मनुष्य ने अपने गाँव (रायपुर) के लिए कुछ नहीं किया। 'यद्यपि वह उसके निवास स्थान से इतनी दूरी पर है कि घोड़े पर चढ़कर तीसरे पहर की सैर को भी कोई निकले तो घूमकर आराम के साथ वापस आ सकता है।'

"लार्ड सिनहा को अपना विज्ञापन पसन्द नहीं था। इसलिए उन्होंने मिस मेयो को यह बतलाने की परवाह नहीं की कि रायपुर में स्कूल की पक्की इमारत उन्हीं ने बनवाई, स्कूल और गाँव के अस्पताल का खर्च भी वही उठाते हैं। और इसके लिए उन्होंने स्थायी कोष भी बना दिया है। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि अपने जिले के कृषि-विद्यालय को उन्होंने १०,०००) का दान दिया है और न यह कि अपने गाँवों और ग्रामीणों की सहायता और दान के उनके इतने काम हुए हैं कि सबका उल्लेख नहीं हो सकता।

"लन्दन में जब मिस मेयो की पुस्तक प्रकाशित हुई तब मैं वहीं था। लार्ड सिनहा के साथ उसने जो घोर अन्याय किया था उसकी और उनका