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मुरशिदाबाद

कन्दी की लिखी हुई। इस पर अकबर की मुहर और दस्तखत हैं- “दीदा शुद अल्ला हो अकबर।"

७-फारसी-कवियों की कविता का संग्रह। इस पर देहली के बाद- शाह शाह आलम की मुहर है।

८-अकबर नामा । अबुलफजलका लिखा हुआ। अबुलफल अकबर के नवरत्नों में से था। इस पर एक जगह लिखा हुआ है- “अहमद व हमराज़ जहांगीर बादशाह ।” दूसरी जगह लिखा हुआ है-“अफ़ज़ल-खां बन्दये शाहेजहां।” ।

९-पन्दनामा जहाँगीरी। यह ७ जिल्दों में है। जहाँगीर के लिए फ़ारस के रहने वाले मीर इमदाद नामक लेखक ने, १६०७ ईसवी में लिखा । गदर के वक्त अँगरेज़ों को यह पुस्तक देहली के शाही पुस्तकालय में मिली थी। पीछे से कलकत्ते की हैमिल्टन कम्पनी ने इसे मुरसिदा बाद के नव्वाव नाज़िम को ७,००० रुपये में बेचा।

१०–पन्दनामा अरस्तातलीस। अरिस्टाटल की उक्तियों का फ़ारसी अनुवाद । ०५१ हिजरी में शाहज़ादा दारासिकोह का लिखा हुआ।

इस महल में चित्र भी बहुत हैं और कोई कोई बहुत कीमती हैं।

यहां के सिलहखाने, अर्थात् शस्त्रागार में अनेक पुराने और बहु- मूल्य हथियार हैं। कितनी ही उत्तमोत्तम तलवारें, पेशकब्ज़ कटार, भुजालियां,पिस्तौल,ढाले,भालें,कुकड़िया,तव्र इत्यादि हथियार बड़ी ही सुन्दरता से दीवारों पर लगे हुए हैं। कोई २० तरह की तो सिर्फ तलवारें हैं। बहुत से हथियार ऐसे हैं जिनसे मुरशिदाबाद के नब्वाव