पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८१
आरङ्गाबाद, दौलताबाद आर राजा

भी प्रबन्ध नहीं है। उसके आस पास बकुल के वृक्ष हैं; उन्हींकी थोड़ी बहुत छाया उसे मिलती है । कब्र की दोनों ओर ५ फुट ऊंची संगमरमर की मनोहर जाली है; उससे इस रौजे में कुछ थोड़ी-सी शोभा आ गई है। सुनते हैं,औरंगजेब ने कह रक्खा था कि उसकी समाधि में किसी प्रकार का आडम्बर न किया जाय । कुरान की आज्ञा के अनुसार वह बिलकुल सादी बने । जो अपने सगे भाइयों की हत्या से ज़रा नहीं सकुचा;जिसने अपनी निरपराध हिन्दू प्रजा पर घोर जुल्म किया; जिसने अपनी स्त्री को समाधि औरंगाबाद में ऐसी अच्छी बनावाई; कुरान के वचनों पर विश्वास करके उसीका अपने लिये आडम्बर विहीन कब्र बनवाने की आज्ञा देना आश्चर्य की बात है। और गजेब ने कह रक्खा था कि उसके मरने पर,उसकी बनाई हुई टोपियों की बिक्रो से जो कुछ मिले, उतना ही खर्च किया जाय। ये टोपियाँ कोई सात आठ रुपये को विकी । औरंगजेब की लिखी हुई कुरान की प्रतियों को बेचने पर, सब मिलाकर,८०५ रुपये मिले। यह रुपया गरीबों को बांट दिया गया था।

औरंगजेब को कब्र के कुछ ही दूर आगे उसके लड़के आज़िमशाह की कब है । उसोके पास आज़िमशाह की बेगम की भी है। यहीं पर सैयद जैनुद्दीन की भी कब्र है। वह औरों की अपेक्षा अच्छी है। इन सैयद साहब की मृत्यु १३७० ईसवी में हुई। इसके किवाड़ों पर चाँदी की चदर जड़ी हुई है और सीढ़ियों में रंगबिरंगे पत्थर लगे हुए हैं। इसीके पास एक छोटे से कमरे में कुछ कपड़े हैं, जिनको लोग मुहम्मद साहब के बतलाते हैं। साल में केवल एक बार उनके दर्शन मुसलमान-