पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/१८

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leyi । कुसुम कुमारी इस उपन्यास में राजा इन्द्रनाथ के पुत्र रनबीरसिंह और राजा कुबेरसिह की पुत्री कुसुम कुमारी के प्रेम का वर्णन है । भाग्यवश दोनों का विवाह बचपन में ही हो गया था जिसकी जानकारी दोनों को नहीं थी। अपने को मृत प्रचारित कर दोनों के पिता लम्वे- अरसे तक छिपे रहे । रनबीर और कुसुमकुमारी के विवाह की बात राजपरिवारों के बहुत थोड़े किंतु विश्वस्त लोगों को ज्ञात थी । उपन्यास में रनबीर की वीरता, कुसुम कुमारी के सौंदर्य एवं प्रशासन, डाकुओं का आतंक एवं राजाओं की तपस्या आदि का विस्तार से. वर्णन है । अनेक विघ्नों, संघर्षों और कालगत सीमाओं के बाद कुसुमकुमारी और रनबीर का मिलन होता है। इनके पिता भी मिलते हैं । अपनी संतानों को प्रसन्न और संपन्न स्थिति में देख वे पुनः जंगल चले जाते हैं । नरेन्द्र मोहिनी नरेन्द्र और मोहिनी दोनों ही विहार के राजाओं की संतानें हैं। रंभा से विवाह न कर नरेन्द्र भागता है और मोहिनी के प्रेम में फंस जाता है। मोहिनी की दो बहनें और हैं.। बड़ी केतकी और छोटी गुलाब । केतकी दोनों की हत्या करा देती है किंतु भाग्यवश दोनों बच जाती हैं । बाद में केतकी के घर नरेन्द्र और रंभा की मुलाकात होती है। नरेन्द्र अफसोस से रंभा को अपनाना चाहता है किन्तु अब मोहिनी बाधक बन जाती है । मोहिनी रंभा और नरेन्द्र दोनों की हत्या में विफल होकर स्वयं हत्या कर लेती है और नरेन्द्र रंभा को अपनाता हैं। -1 . बीरेन्द्रवीर अथवा कटोरा भर खून . यह उपन्यास भी बिहार से ही सम्बद्ध है। घटना नेपाल की तराई क्षेत्र की है। बीरेन्द्र- सिंह हरिपुर रियासत के राजा का छोटा लड़का है। इसके बाप का नाम करणसिंह है। हरिपुर रियासत नेपाल राज्य क अधीनस्थ और उसको कर देने वाली है। करणसिंह राठू नामक एक कर्मचारी ने वास्तविक राजा की हत्या कर दी और स्वयं राजा बन बैठा । नाम, की समानता के कारण उसका भ्रम चल जाता है । राठू राजा करण सिंह के बड़े लड़के की भी हत्या करवा देता है। किंतु वह बच जाता है और नाहरसिंह डाकू के नाम से प्रसिद्ध हो जाता है.। सुजान सिंह राजा राठू का एक कर्मचारी और बीरेन्द्रसिंह की स्त्री तारा का पिता है। सुजानसिंह ने वीरेन्द्रसिंह की कैदी बहन सुंदरी की लड़की की हत्या कर दी और उसका खून एक कटोरे में रख दिया। यह उसने राठू के दबाव में आकर किया। यह खून उसकी कमजोरी बन गया। अब वह सुजान का प्रयोग बीरेन्द्रसिंह को भरवाने के लिए करना चाहता है। किन्तु घटनाएं बदलने लगती हैं। बीरेन्द्रसिंह की भेंट कथित डाकू नाहरसिंह से होती है जो उसका बड़ा भाई है ! परिचय के बाद दोनों भाई मिलते हैं। दोनों भाइयों के पिता करणसिंह जो साधु का वेश धारण कर जीवन वितारहे थेनिकल आते हैं । राठू की आँखें निकाल ली गई। वह कुछ ही दिनों में स्वर्ग सिधार गया। वीरेन्द्रसिंह को राजगद्दी मिली। (ixx)