पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२

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D प्रकाशकीय, बाबू देवकीनंदन खत्री ने हिन्दी की तिलिस्मी कथा को इतनी प्रौढ़ता दी कि वे तिलिस्मी कथा के पर्याय बन गये । उनके उपन्यासों ने हिन्दी में पाठकों का अच्छा खासा समूह पैदा कर दिया । बहुतों ने चंद्रकांता संतत्ति पढ़ने के लिए हिन्दी सीखी। खत्री जी के उपन्यासों ने प्रारंभ से ही पाठकों को जिस ढंग से आकर्षित किया है वह आकर्षण आज तक बना है। काल-प्रवाह में हिन्दी कथा साहित्य ने अनेक उतार चढ़ाव देखे । किन्तु देवकीनन्दन खत्री आज भी लोकप्रिय हैं;तिलिस्म कथा सम्राट हैं । अनेक लेखकों ने उनके अनुकरण का प्रयास किया। किंतु कोई भी कथाकार खत्री जी के मानक को तोड़ न सका। अद्भुत प्रतिभा पायी थी खत्री जी ने । इतने सारे पात्रों, परिस्थितियों, घटनाओं तथा स्थानों का सामंजस्य बैठाते हुए पाठकों की उत्सुकता को निरंतर बनाए रखना असामान्यमेधाका काम है। बहुत दिनों से पाठकों की मांग थी कि समग्र खत्री साहित्य कम मूल्य पर सुलभ हो । पाठकों की (iii)