पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२०१

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खड़ग०-अनिरूद्धसिह, यह कौन है? अनिरूद्ध०-(हाथ जोड़कर) यह उस नाहरसिंह का साथी है जिसे यहाँ के राजा न डाकू के नाम से मशहूर कर रखा है। अक्सर हम लोगों की पचायत में शरीक हुआ करता है। इसका नाम सोमनाथ है। खड़गo-मगर क्या तुम उस नाहरसिंह डाकू के साथी को अपना शरीक बनाते हो जिसने हरिपुर को रिआया को तग कर रक्खा है और जिसकी ददगता और जुल्म की कहानी नेपाल तक मशहूर हो रही है ? सोम०-नाहरसिह को केवल यहा के येईमान राजा ने बदनाम कर रक्खा है क्योंकि वह उन्हीं के साथ बुरी तरह पेश आता है. उन्हीं का खजाना लूटता है, और उन्हीं की कैद से बेचारे बेकसूरों को छुडाता है। सिवाय राजकर्मचारियों के हरिपुर का एक अदना आदमी भी नहीं कह सकता कि नाहरसिह जालिम है या किसी को सताता है। खड़ग०-(अनिरूद्ध की तरफ देख कर) क्या यह बात सच है ? अनिलद्ध०-वेशक सच है 'नाहरसिह बडा ही नेकमर्द, रहमदिल, धर्मात्मा और वीर पुरूप है। वह किसी को तग नहीं करता बल्कि वह महीने में हजारों रुपये यहा की गरीब प्रजा में गुप्त रीति से वाटता, गरीबों का दुख दूर करता, और ब्राह्मणों की सहायता करता है। हाराजा करनसिह को अवश्य सताला है उनकी दौलत लूटता है और उनके सहायको की जाने लेता है। खडग०-अगर ऐसा है तो हम वेशक नाहरसिह को बहादुर और धर्मात्मा कह सकते है (सोमनाथ की तरफ देख कर) मगर राजा करनसिह नाहरसिंह की बहुत बुराई करता है और उसे जालिम कहता है, सबूत में हाल ही की यह नई बात दिखलाता है कि नाहरसिह निमकहराम वीरसिह का कैद से छुड़ा ले गया जिस पर राजकुमार का खून हर तरह साबित हो चुका था और जो तोप के सामने रख कर उड़ा देने के योग्य था । नाहरसिह इसका क्या जवाब रखता है ? अनिरुद्ध०-सोमनाथ वरावर हम लोगों की पचायत में मुंह पर नकाव डाल कर आया करते है। हम लोग इस बात की जिद्द नहीं करते कि वे अपनी सूरत दिखाएँ वल्कि कसम खावुके है कि इनके साथ कभी दगा न करेंगे। जिस दिन से नाहरसिहने वीरसिह को छुडाया है उस दिन से आज ही मुलाकात हुई है। हम लोग खुद इस बात का जवाब इनसे लिया चाहते थे कि उस आदमी की मदद नाहरसिह ने क्यों की जिसने राजा के लड़के को मार डाला? नाहरसिंह से ऐसी उम्मीद हम लोगों को न थी। हम लोग येशक राजा के दुश्मन है मगर इतने बड़े नहीं कि उसके लड़के के खूनी को भगा दे। मगर हम लोगों को सबसे ज्यादा ताज्जुब इस बात का है कि वीरसिंह के हाथ से ऐसा काम क्योंकर हुआ। यड़ा ही नेक, धर्मात्मा और सच्चा आदमी है, राजा से भी ज्यादा हम लोग उसे मानते हैं और उससे मुहय्यत रखते है क्योंकि इस राज्य में या कर्मचारियों में एक वीरसिह ही ऐसा था जिसकी बदौलत रिआया आराम पाती थी या जो रिआया को अपने लड़के के समान मानता था, मगर ताज्जुब है कि सामः-इस बात का जवाब मै दे सकता हूँ और निश्चय करा सकता हूँ कि नाहरसिंह ने कोई बुरा काम नहीं किया और वीरसिंह बिल्कुल बेकसूर है। खड़ग०--अगर नाहरसिंह और धीरसिंह की बेकसूरी साबित होगी तो हम येशक उनके साथ कोई भारी सलूक करेंगे। सुनो सोमनाथ, राजा के खिलाफ यहा की रिआया तथा नाहरसिह की अर्जियाँ पाकर महाराज नेपाल ने खास इस बात की तहकीकात करने के लिए मुझे यहाँ भेजा है और मैं अपने मालिक का काम सच्चे दिल से धर्म के साथ किया चाहता हूँ। (यहादुरों की तरफ इशारा करके) ये लोग मुझे भली प्रकार जानते है और मुझ पर प्रेम रखते है तभी मै इन लोगों की गुप्त पचायत में आ सका हूँ और ये लोग भी अपने दिल का हाल साफ-साफ मुझसे कहते है. हॉ बीरसिंह की बेकसूरी के बारे में तुम क्या कहना चाहते हो कहो ? सोमo-वीरसिंह कौन है और आप लोगों को कहाँ तक उसकी इज्जत करनी चाहिए यह फिर कभी कहूगा इस समय केवल उसकी बेकसूरी साबित करता हूँ। धीरसिंह ने महाराज के लड़के को नहीं मारा, यह महाराज ने जाल किया है। महाराज का लडका अभी तक जीता-जागता मौजूद है, और महाराज ने उसे छिपा रक्खा है, मैं आपको अपने साथ ले जाकर राजकुमार को दिखा सकता हूँ! खड्ग०--है !महाराज का लड़का सूरजसिंह जीता-जागता मौजूद है !! सोम०-जी हो। खडग०-ज्यादा नहीं केवल एक बात का विश्वास हो जाने से हम यहा के रिआया की दरखास्त सन्धी समझेंगे और वीरेन्द्र वीर १२०३