पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२१०

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he खडग०-हॉ, उन्हें जख्मी करके करनसिह के आदमी ले गए थे, उसी समय में भी जा पहुंचा. फिर वह मुझसे क्योंकर छिपा सकता था? आखिर उन्हें अपने कब्जे में किया और अपने आदमियों के साथ अपने डेरे पर भेजवा दिया। नाहर०-बीरसिह की कैसी हालत हे? खड़ग०-अच्छी हालत है कोई हर्ज नहीं जख्म है मालूम होता है बहादुर ने लड़ने में कसर नहीं की। मेरे आदमियों ने पट्टी बाँध दी होगी। अब देर न करो चलो, सर्दार लोग अभी तक बैठे मेरा इन्तजार कर रहे होंगे। नाहर०-ज़ी हॉ, जब तक हम लोग न जायेंगे वे लोग बेचैन रहेंगे। खडगसिह के पीछे अपने साथियों के साथ नाहरसिह फिर उसी मकान में गया जिसमें कुमेटी बैठी थी कुल सर्दार और जमींदार अभी तक वहाँ मौजूद थे। खडगसिह को देख सब उठ खडे हुए। खडगसिह ने बैठने के बाद अपने बगल में नाहरसिह को बैठाया और सबको वैटने का हुक्म दिया ! नाहरसिंह ने अपने साथियों में से एक आदमी को अपने पास बैठाया जो अपने चेहरे पर नकाब डाले हुए था। अनिरूद्ध०-धीरसिंह का पता लगा? खडगoहॉ, वह राजा के दगाबाज नौकरों के हाथ में फंस गया था, में वहाँ जाकर उसे छुड़ा लाया और अपने डेरे पर भेजवा दिया, अब बव्यनसिह और हरिहरसिह को भी पहरे के साथ हमारे लश्कर में भिजवा देना चाहिए। तुरत हुक्म की तामील हुई, कई सिपाहियों को पहरे पर से बुलवा कर दोनों बईमान उनके सुपुर्द किए गए और एक बहादुर सर्दार उनके साथ पहुंचाने के लिए गया खडग०-(नाहरसिंह की तरफ देख कर) हाँ तो करनसिंह का लडका जीता है ? उसे तुम दिखा सकते हो? नाहर०-जी हॉ, उसके जीते रहने का एक सबूत तो मेर पास इसी समय मौजूद है। खड़ग०-वह क्या? नाहरसिंह ने एक पत्र कमर से निकाल कर खडगसिह के हाथ में दिया और पढने के लिए कहा। यह वही चिट्ठी थी जो नदी में तैरते हुए रामदास को गिरफ्तार करने के बाद उसकी कमर से नाहरसिह ने पाई थी। इसे पढते ही गुस्से से खडगसिह की ऑखें लाल हो गई। खडगo-बेशक यह कागज राजा के हाथ का लिखा हुआ है, फिर उसकी मोहर भी मौजूद है, इससे बढकर और किसी सबूत की हमें जरूरत नहीं, अबसूरजसिह का पता न भी लगे तो कोई हर्ज नहीं। (अनिरूद्धसिंह के हाथ में चिट्ठी देकर) लो पढो बाकी सभों को भी पढने को दो। एकाएकी वह चिट्ठी सभों के हाथ में गई और सभी ने पढ़कर इस बात पर अपनी प्रसन्नता प्रकट की कि बीरसिंह निर्दोष निकला। अनिरूद्ध०-(खडगसिंह से) अब आपको मालूम हो गया कि हम लोगों की जो दरखास्त नैपाल गई थी वह व्यर्थन थी। खडग०-बेशक (नाहरसिंह की तरफ देख कर) हॉ आपने कहा था कि वीरसिंह का असल हाल आप लोग नहीं जानते । वह कौन सा हाल है क्या आप कह सकते है ? नाहर०-हॉ मै कह सकता हूँ यदि आप लोग दिल लगाकर सुनें। खडग०-जरूर सुनेंगे। नाहरसिंह ने करनसिह और करनसिंह सटू का हाल और अपने बचने का सबब जो बीरसिह से कहा था इस जगह खडगसिंह और सब सर्दारों के सामने कह सुनाया और इसके बाद बीरसिंह को कैद से छुड़ाने का हाल और अपनी बहिन सुन्दरी का भी पूरा हाल कहा जो तारा ने वाबाजी से बयान किया था। सुन्दरी का बहुत कुछ हाल नाहरसिंह को पहिले से ही मालूम था, बाकी हाल जो तारा ने बीरसिह से कहा था वह अपने बड़े भाई नाहरसिह को सुनाया था। बीरसिह यह नहीं जानता था कि उसकी स्त्री तारा ने जिस अहिल्या का हाल उससे कहा था वह उसकी बहिन सुन्दरी ही थी। जब बीरसिंह और नाहरसिंह में मुलाकात हुई और अपनी बहिन सुन्दरी का नाम नाहरसिह से सुना तब मालूम हुआ कि अहिल्या या सुन्दरी ही वह बहिन है। नाहरसिंह की जुबानी करनसिंह का किस्सा सुनकर सभी का जी बेचैन हो गया, आँखों में आँसू भरकर सभों ने लम्बी साँसें ली और बेईमान करनसिंह रातू को गालियों देने लगे। थोड़ी देर तक सभों के चेहरे पर उदासी छाई रही मगर देवकीनन्दन खत्री समग्र १२१२