पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२१३

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खूब मचगा ताज्जुब नहीं कि राजा विगड जाय ओर लडाई हो पड, इसस मरी राय है कि कल का दिन आप टाल दें और लडाई का पूरा बन्दोबस्त कर लें इस बीच मै भी अपन का हर तरह से दुरुस्त कर लूगा। खडग०-(और सर्दारों की तरफ देख कर) आप लोगों को क्या राय है? सर्दार०-नाहरसिंह का कहना ठीक है हम लोगों को लडाई के लिए तैयार होकर ही दवार में जाना चाहिया हम लोग भी अपने सिपाहियों की दुरुस्ती करना चाहते है कल का दिन टल जाय तभी अच्छा है। खडग०-खैर एसा ही सही। गुप्त रीति से राय के तौर पर दो चार याते और करन क याद दार बर्खास्त कर दिया गया। यायूसाहब को साथ लकर नाहरसिह चला गया सर्दार लाग भी अपन अपन घर को रवाना हुए खड्गसिह अपन डर पर आय और वारसिह का होश में पाया उनसे सब हाल कहा और उनका इलाज कराने लगे। तेरहवां बयान खडगसिंह जय राजा करनसिंह के दीवानखान में गये और राजा स बातचीत करके वीरसिंह को छुडा लाये तो उसी समय अर्थात् जब खडगसिंह दीवानखाने से रवाना हुए तभी राजा के मुसाहों में सलपसिह चुपचाप खडगसिंह के पीछे रवाना हुआ और छिपता हुआ वहाँ तक आया जहाँ सडक पर खडगसिंह और नाहरसिंह से मुलाकात थी और खडगसिंह ने पुकार कर पूछा था, 'कौन है नाहरसिह । सरूपसिंह उसी समय चोंका और जी में साचने लगा कि खडगसिह दिल में राजा का दुश्मन है क्योंकि राजा के सामने उसने कहा था कि नाहरसिंह का हमन गिरफ्तार कर लिया और कैद करके अपन लश्कर में भेज दिया है मगर यहाँ मामला दूसरा ही नजर आता है नाहरसिह तो खुल मैदान में घूम रहा है 'मालूम होता है खड़गसिह ने उससे दोस्ती कर ली। लेकिन नाहरसिंह का नाम सुनते ही सरूपसिह इतना डरा कि वहाँ एक पल भी खडा न रह सका भागता और हॉफता हुआ राजा के पास पहुंचा। राजा०-क्यों क्या खवर है ? तुम इस तरह बदहवास क्यों चल आ रह हो ? कहाँ गये थ? सरूप०-खडगसिंह के पीछे गया था। राजा०-किस लिए? सरूप०-जिससे मालूम करूँ कि वह कहा जाता है और सच्चा है या झूटा। राजा०-ता फिर क्या देखा? सलप०-बडा ही भारी बईमान और झूठा है उसने आपको पूरा धोका दिया और नाहरसिह के गिरफ्तार करन की बात भी विल्कुल झूठ कही। नाहरसिह खुले मैदान घूम रहा है बल्कि खडगसिह और उनमें दोस्ती मालूम पडती है। जिस मकान में दुश्मनों की कुमेटी होती है उनके पास ही खडगसिंह नाहरसिह स मिला जो कई आदमियों को साथ लिए वहाँ खडा था और बातचीत करता हुआ उसके साथ ही कुमटी वाले मकान में चला गया ! राजा0-तुमने कैसे जाना कि यह नाहरसिह है ? सरूप०-खडगमिह ने नाम लेकर पुकारा और दोनों में बातचीत हुई ! राजा०-क्या बीरसिंह को लिए हुए खडगसिंह वहाँ गया था? सरूप-नहीं उसन वीरसिह को तो अपने आदमियों के साथ करके अपन डेरे पर भेज दिया और आप उस तरफ चला गया था। राजाo-तो बेईमान ने मुझे पूरा धोखा दिया । सरूप०-वेशक। राजा-अफसोस यहाँ अच्छे मौके पर आया था अगर मैं चाहता तो उसी वक्त काम तमाम कर दता और किसी को खबर भी न होती। तरूप०-इस समय खडगसिंह नाहरसिह को साथ लेकर उस मकान में गया है जिसमें कुभेटी हो रही है अगर वीरेन्द्र वीर १२१५