पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२२

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at व की न्द न ख. त्री समग्र प्रचारक ग्रंथावली परियोजना हिन्दी प्रचारक पब्लि० प्रा० लि. सी २१/३० पिशाचमोचन, वाराणसी-२२१ ०१० 0:३५०४२५, ३५८४७० बाबू देवकीनन्दन खत्री हिन्दी के पहले उपन्यासकार हैं जिन्हें जनता ने व्यापक रूप से मान्यता दी।ये हिन्दी में ऐय्याशी और तिलस्मी उपन्यासों के जनक माने गये। देवकीनन्दन खत्री ने अपने उपन्यासों के द्वारा अपने जीवन में ही उत्तर भारत में वह ख्याति अर्जित की, जो अन्यों को नहीं मिली। इनके उपन्यास चन्द्रकान्ता को पढ़ने की ललक ने अनेक अहिन्दी भाषियों को भी हिन्दी सीखने के लिए विवश किया। खत्री जी ने हिन्दी कथा लेखन को क्रान्तिकारी आयाम दिया। उनके सारे उपन्यास मात्र एक जिल्द में दिये गये हैं। इनमें चारों भाग चंद्रकान्ता और चौबीसों भाग चन्द्रकान्ता संतति है। इनके अतिरिक्त कुसुम कुमारी, नरेन्द्र: मोहिनी, वीरेन्द्र वीर, काजल की कोठरी, गुप्त गोदना तथा अन्य उपन्यास हैं। यह एक अद्भुत संग्रह है।