पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२३५

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बड़बडे शक मेरे दिल में बैठा दिए मगर आज आपकी महरबानी न उन स्याह धन्या को मिटा कर मेरा दिल हरनदन की तरफ से साफ कर दिया। आज हरनन्दन और वादी को हाथ में हाथ दिए सरे बाझार टहलता हुआ भी अगर माईमझ दिखाद तो भी मरे दिल में उसकी तरफ म कोई शक न बैठगा हादचारी सरला का पता लगान लगना यह आपकी महरबानो और मेरे भाग्य के आधीन है। सूरज-बचारी सरला का पता लगगा और जरूर लगगा। हन्दिनने सुद मुझ अपन बाप के सामने कहा कि जॉदीन सरला का दिखा देने का वायदा किया है और इस बात का निश्चय दिला दिया है कि सरला पारसायक कन्जमें लाल - (ोककर ) पारसनाथ के कब्ज में । सूरण-जी हों। इस बात का निश्चय कर लन के बाद हरनदन नहीं चाहता था कि वादी के घर में कनी पर पध मगर उसके बाप कल्याणसिह न उस बहुत समझाया और बाँदी के साथ वालापाजी करन का रास्ग वा तथा इस काम में मैंने भी इसे ताकीद की तब लाचार होकर उसन बॉदी के यहाँ आना-जाना शुरू किया और एसा करन के बाद उसे बहुत सी बातों का पता लगा । लाल - (कुछ साचकर) वशक ऐसा ही होगा क्योंकि इस काम म णररानाथ ही भुझस ज्याद वा किया भी करता सूरज - अगर आप मुनासिब समझें ता वे बातें मुझ भी कह सुनाये जा पारसनाथ ने इस विषय में आपस में क्योकि में उन बातों से हरनन्दन को हाशियार करूँगा और तव वह अपना काम और भी जल्दी तथा खूबसूरती के साथ निकाल सकेगा। लाल - येशक मैं उसकी बातें आपको सुनाऊँगा और आपसे राय कहेंगा कि अब मुझ क्या करना गहिए । इतना कह कर लालसिह न पारसनाथ की विलकुल यातें जो ऊपर के चयानों में लिखी जा चुकी है सूरजसिंह स क्यान की और इसक बाद पूछा कि अब मुझे क्या करना चाहिए? सूरज-इस बात का तो आप भी समझते होंगे कि रडिया कैसी चालबाज और शैतान होती है तथा यध्यड घरी का थाडे ही दिना में पर्वाद कर दने की शक्ति उनमें कितनी ज्याद हाती है क्योंकि आप अपनी नौजवानी का कुछ हिस्सा इन लागो का सोहवत में गवा कर हर तरह से होशियार हा चुके हैं। लाल - जी हाँ मैं इन कमबख्तों की करतूतों से खूब वाकिफ हूँ। ऐसे ही कोइ सरस्वती के कृपापात्र हात है जा इनके फन्दे से अपने को बचा ले पाते है नहीं तो कवल लक्ष्मी के कृपापात्रों को ता य लोग लक्ष्मी का वाहन ही बनाकर दम लती है। जिसमें भी उन रडियो से तो ईश्वर ही वचावे तो काई बच सकता है जिसके यहाँ नायकाओकी प्रधानता बनी हुई हो। सूरज-वस तो इसीस आप समझ लीजिए कि बादी के यहाँ जब पारसनाथ और हरनन्दन दाना जाता है तो बाँदी इस बात को चाहगी कि जहाँ तक हो सके दोनों ही स रुपये वसूल कर मगर उस ज्यादे पक्ष उसी का रहेगा जिससे ज्याद आमदनी की सूरत दखेगी। लाल - देशक। सूरज-अस्तु जब तक वह पारसनाथ से रूपये वसूल करने का मौका देखेगी तब तक उनका अपना दुस्मन बनान में भी जहाँ तक होगा टालमटोल करती ही रहेगी इसलिए सब से पहिले काम वहीं करना उचित है जिसमें पारसनाथ रूपये के बारे में बारम्बार बाँदी से झूठा बनता रह लाल-(यात काटाकर) ठीक है ठीक है मै आपका मतलब समझ गया वास्तव में एसा हाना ही चाहिए। हा मुझे एक और भी बहुत ही जरूरी बात पर आपसे सलाह करनी है। सूरज - मुझे भी अभी आपसे बहुत सी बातें करनी है। इसके बाद सूरजसिह और लालसिह में घण्टे भर तक बातचीत हाती रही जिसके अन्त में दोनों आदमी एक साथ उठ खडे हुए ! लालसिह ने अपने दर्यारी कपडे खूटी पर से उतार कर पहिर और हाथ में एक माटा सा उण्डा लिया जिसक अन्दर गुप्ती वधी हुई थी इसके बाद दानों आदमी कमरे के बाहर निकल कर किसी तरफ को रवाना हो गए। सातवां बयान पारसनाथ अपने चाचा के हाल-चाल की खबर बराबर लिया करता था। उसने अपने उग पर कईएस आदमी मुकर्रर कर रक्खे थे जो कि लालसिह का रत्ती-रती हाल उसके कानों तकपहुंचाया करते और जैसा कि पय कुमारों के सगी साथी किया करत है उसी तरह उन खबरों में बनिस्यत सच के झूठ का हिस्सा बहुत ज्याद रहा करता था। रात को लालसिह के पास सूरजसिह के आने की इतिला भी पारसनाथ को हो गई मगर उत या दातो का फर्क पड गया। एक तो उसके जासूस इस बात का पता न बता सके कि आने वाला कौन था क्योंकि सूरवासिह अपन को

  • रडियों की बुढ़िया मा नानी इत्यादि नायका कहलाती है। साहित्य के हिसाब से की उल्टी बात है "

. काजर की कोठडी १२३७