पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२४२

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हो गया है मगर उन्होंने इस बात पर विशेष ध्यान न दिया और बोले कि हरनन्दन का रडी फ यहा देखने से फायदा ही क्या होगा, जब तक कि इस बात का पूरा-पूरा राबूत न मिल जाय कि सरला को तकलीफ पहुंचाने का समय ही हरनन्दन है। इसके बाद मुझसे ओर उनसे देर तक बातें होती रही मन बहुत तरह से समझाया मगर उनके दिल में एक न दी। वॉदी- ठीक है मगर फिर भी में वही बात कहूँगो कि तुम्हारे चाचा का ख्याल कल सहीं बदला बल्कि कई दिन पहिले ही से बदल गया है। जब कि हरनन्दा के बाप ? टका सा सूखा जवाब दे दिया और हरनन्दन खुल्लायुल्ला रडियों के यहा आने जाने लगा तप वे हरनन्दन का कर ही क्या सकते है और जय नहीं कि उन्हें हरनन्दन की इस नई चालचलन का पता लग भी गया हो। ऐसी हालत में तुम्हारा सूम चाचा रुपया क्यों खर्च करन लगा? अब तो जहा तक जल्द ही सके सरला की शादी किसी दूसरे क साय हा गानी चाहिए। हा मन तो आज यह भी सुना है कि तुम्हारा चावा दूसरा वसीयतनामा तैयार कर रहा है। पारस- (चौक कर ) यह तुमसे किसने कहा ? बादी- आज राजा साहब का एक मुसाहव अनि लड की शादी में नाचा के लिए चौडा देने को वास्ते गरे यहाँ आया था ! वही इस बात का जिक्र करता था। उसका नाम ता में इस बात भूल गई अम्मा की याद होगा। पारस - अगर ऐसा हुआ तो बड़ी मुश्किल हागी ! वादी-बेशक । पारस - भला यह भी कुछ मालूम हुआ कि दूसर वतीयताम में उसन क्या लिया है ? पादी-तुम भी अजय उन्द हा भला इस बात का जवाब में क्या द सकता और में उस कहने बाल से पूछ भी क्योंकर सकती थी? पारस - ठीक है (कुछ सोच कर ) अगर यह बात ठीक है तामें समझता कि आपन चाचा को जहन में पहुंचा देने के सिवाय मेरे लिए और कोई उचित कार्य नहीं है। वॉदी- अब इन बातों को तुम ही समझा मगर मे यह पूछती हूकि अब तक तुमन सरला की शादी का इत्तगायों नहीं किया? अगर वह हो जाती तो सब पखेला ही था । पारस -- ठीक है मगर जब तक सरला शादी करने पर दिल स राजामहो जाय तब तक हमारा मतलब नहीं निकलता । मान लिया जाय कि अगर हमने उसकी शादी जबर्दस्ती किसी के सासकरदी और प्रकट होने पर उसने इस बात का हल्ला मचा दिया कि मर साथ जबदस्ती की गई तब मेरे लिए बहुत बुराई पैदा हो जायेगी और शादी हो जाने के बाद भी उसे छिपाये रहना उचित नहीं होगा। ताज्जुब नहीं कि बहुत दिनों तक सरला का पता न लगने के कारण मेरा चचा उसकी तरफ से नाउम्मीद होकर अपनी कुन जायदाद रात कर दे या कोई दूसरा वसीयतनामा ही लिख दा हमारा काम तो तब बने कि सरला शादी होन के बाद एक दफ किसी बड़े के सामने कह दे कि हाँ वह शादी मेरी इच्छानुसार हुई है। इसके अतिरिक्त हमारी गुप्त कमेटी ने भी यही निश्चय किया है कि चचा साहब को किसी तरह खतम कर देना चाहिए जिसमें उन्हें दूसरा वसीयतामा लिखने का मौका न मिले। उन लागां ने जो कुछ चाल सोची थी वह तो अब पूरी होती नजर नहीं आती। घाँदी -वह कौन सी चाल? पारस -- यही कि मेरा चचा खुद हरनन्दन से रज होकर यह हुक्म दे देता कि सरला को खोजकर दूसरी शादी कर दी जाय । वस उस समय मुझे खैरखाह बनने का मौका मिल जाता । मैं झट सरला को प्रकट करके कह दता कि इसे हरनन्दन के दोस्त डाकुओं के कब्जे में से निकाल लाया हूँ और जब उसकी शादी किसी दूसरे के साथ हो जाती तब इसके पहिले कि मेरा चचा दूसरा वसीयतनामा लिखे मैं उसे मार कर बयेडा गिटा देता । ऐसी अवस्था में मुझे उसके लिखे वसीयतनामे के अनुसार आधी दौलत अवश्य मिल पाती। इसके अतिरिक्त और भी बहुत सी बाते है जिन्हें तुम नहीं समझ सकती। (कुछ गौर करके ) मगर अब जो हमलोग गौर करते है तो हम लोगों की पिछली कार्रवाई बिल्कुल जहन्नुम में मिल गई सी जान पड़ती है क्योकि मेरे चचा हरनन्दन के खिलाफ कोई कार्रवाई करते दिखाई नहीं देता आज हरिहरसिह ने भी यही बात कही थी कि खाली तुम्हारे चाचा के मारे जाने से कोई फायदा नहीं हो सकता । फायदा तभी होगा जब तुम्हारा चाया भी मारा जाय और सरला भी अपनी खुशी से शादी कर चे। मगर बडे अफसोस की बात है कि मैं सरला को भी किसी तरह समझा न सका। मैं स्वय कैदी बन कर उसके पास गया और बहुत तरह से समझाया बुझाया मगर उसने एक न मानी उल्टे मुझी को बेवकूफ बना के छोड़ दिया। बाँदी -- ( ताज्जुब से ) हो । तुम सरला के पास गये थे ? अच्छा तो वहीं क्या हुआ मुझसे खुलासा कहो ? पारस ने अपना सरला के पास जाने और वहाँ से छुच्छू बनकर बैरग लौट आने का हाल बांदी से बयान किया और तब बांदी से मुस्कुराकर कहा, अगर मै सरला को दूसरे के साथशादी करने पर राजी कर दूं और वह इस बात को खुशी से मजूर कर ले तो मुझे क्या इनाम मिलेगा?' इतना सुनकर पारस ने उसके गले में हाथ डाल दिया और प्यार की निगाहों से देखता हुआ खुशामद के ढग पर बोला तुम मुझसे पूछती हो कि मुझे क्या इनाम मिलेगा ! तुम्हें शर्म नहीं आती । हालौकि तुम इस बात को बरघूजी देवकीनन्दा खत्री समग्र १२४४