पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२६५

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agent नौजवान -- नहीं कोई चिन्ता की बात नहीं है हम लोग अकले दुकले तो है नहीं कि यकायक जिसका जी चाहेगा आकर लूट लगा इसक अलावे हम लोगों क पास और हवे तो हई है बन्दूकें भी भरी हुई तैयार है कोई तुम्हारी पालकी क पास फटकने तो पावहीगा नहीं। औरत-अजी मुझ कुछ अपनी ही फिक्र थाडे ही है तुम्हारी जान भी ता प्यारी है, तो यहा सन्नाटे मैदान में खडे क्यों हो रहे हो। नौजवान - यहा दा कारणों से रुक जाना पड़ा एक तो पालकी के कहार बहुत थक गये हैं दूसर आग का रास्ता कुछ ज्यादे खराब और पथरीला मिलता जाता है इससे हम चाहत हैं कि चन्द्रमा निकल आवे तो आगे बढ़ें। औरत - हा यह बात तो ठीक है, चन्द्रमा निकल आवगा तो दूर का आदमी भी दिखाई दगा मगर चन्द्रमा कय निकलगा? नौजवान - अब निकला हो चाहता है देखो वह आसमान की तरफ उजाला फैल रहा है। इतन ही में एक तरफ से कुत्ते के भौकनें की आवाज आई और उसी तरफ आग की रोशनी देखकर वह औरत बोली- औरत-देखो वह आग चमक रही है और उसी तरफ से कुत्ते के मौकने की आवाज आती है वहॉ पर जरूर कोई गाव या चस्ती है। नौजवान - हॉ है तो सही। औरत-ता फिर उसी तरफ क्यों नहीं चले चलत? नौजवान-विना समझे-बूझ सडक छाडकर मैदान की तरफ खत ही खेत जाना नुनासिब नहीं है कौन ठिकाना वहा जाकर हम लागों का आवादी की सूरत दिखाई न पड़े और केवल किसी खेत अगोरने वाले की झापडी ही दखकर अफसोस करना पड़ा औरत-इस सामने की तरफ खत में कुछ लगाता है नहीं। इसी तरह दानों तरफ मैदान ही मैदान है तब अगारन वाल एसी जगह रह कर क्या करेंगे? वहा जर काई गाव होगा। नौजवान - अगर तुम्हारा कहना ठीक हो तो भी हम सड़क छोड कर उस तरफ जाना मुनासिव नहीं समझते । औरत ~ मैं इस बारे में जोर नहीं द सकती जैसा मुनासिब समझो करो अगर रात इसी जगह विताने का इरादा है तो इसी जगह पालकी के पास ही कुछ विछा कर आराम से बैठो मेरा भी जी लगा रहेगा। नौजवान -हाँ ऐसा ही करते है। इतना कह कर नौजवान न पालकी का पर्दा छाड दिया और खड होकर एक कहार स अपने घाड का जीनपाश लाने के लिये कहा जब कहार जीनपोश ले आया तो नौजवान न उसे पालकी के पास जमीन पर बिछा दिया और पर्दे का हिस्सा उठाकर पालकी के ऊपर फेंक दिया। मौका दखकर कहार लागपालकी क दूसरी तरफ हट गये और पुन उन दोनों में यों बातचीत होने लगी- औरत - क्या तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि हम लोगों को अब कितनी दूर जाने के बाद आराम मिलेगा? नौजवान - हा इतना तो हम कह सकते है कि अगर बादशाह की तरफ से हम लोगों का पीछा न किया गया ता पच्चीस कास का सफर और करन के बाद हम लोग एक ऐसे विकाने पर जा पहुचेगे जहा वर्षों आराम के साथ रहें और किसी को कानोंकान खबर न हो। औरत-बादशाह का तो हमलोगों ने कुछ विगाडा नहीं फिर उनको तरफ से हमलोगों का पीछा क्यों किया जायेगा? नौजदान-हा हम लोगों ने तो कुछ विगाडा नहीं है मगर उदयसिह की तरफ से बादशाह का दिल साफ नहीं है, उन्हें किसी ने विश्वास दिला दिया है कि उदयसिह औरंगजेब का तरफदार है और नौजवान अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि यकायक घोड़े के टापों की आवाज सुनकर चौक पड़ा और बोला, "कोई सवार आता है। औरत - कोई डाकू वा लुटेरों के साथियों में से न हो ? नौजवान~डाकुओं और लुटेरों के साथियों में से अगर होता तो अकेला न होता और यह सवार जहा तक टापों की जावाज से मालूम होता है अकेला ही जान पड़ता है. देखो दम भर में मालूम ही हो जायेगा. अगर डाकुओं के साधियों में से ोगा ता हम उसे साथियों को खबर करने के लिये लौट कर जाने न देगें। इतना कह कर नौजवान उठ खड़ा हुआ, पालकी का पर्दा गिरा दिया और जीनपोश उठाए हुए पालकी के दूसरी तरफ आकर खड़ा हो गया । एक कहार ने उसके हाथ से जीनपाश लेकर उसके घोड़े की पीठ पर डाल दिया और सर उस सवार के आने का इन्तजार करने लगे। गुप्तगोदना १२६७