पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ex1 थोड़ी ही देर में वह सवार भी वहा आ पहुचा और सभों को अच्छी तरह देख-भाल कर घोड़े से नीचे उतर पडा। एक सवार ने उससे पूछा, "तुम कौन हो? इसके जवाब में सवार ने कहा, 'पहिले यह बताओ कि सर्कार कहाँ है?' हमारे नौजवान ने उसकी आवाज पहिचान ली और उसे अपने पास बुला कर कहा, “कहो प्रतापसिह !तुम कैसे आए ?' प्रताप - मैं आपको इस बात की इत्तिला देने आया हू कि आप लोगों के भागने की खबर बादशाह के कानों तक पहुच गई और उसने आप लोगों की गिरफ्तारी का हुक्म दे दिया है. अस्तु अब उचित है कि आप लोग सड़क ही सडक जाने का खयाल छोड़ के जगल और मैदान का रास्ता लीजिये और जिस तरह हो सके अपने को जुल्म के पजे से बचाइये। नौजवान-खैर कोई चिन्ता नहीं, जब ईश्वर हमारा निगहबान है और हम ईश्वर की तरफ से निर्दोष है तो हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता मगर तुमने बहुत ही अच्छा और बड़े हिम्मत का काम किया कि इस बातकी इत्तिला करने यहाँ तक चले आए. इससे हम लोगों को बहुत फायदा पहुचेगा। प्रताप- मैं क्यों न आता? ऐसी खबर सुनकर भी मुझसे कब रुका जाता था? उदयसिहजी का नमक ऐसा नहीं है जिसे मै इस जन्म में मुला दूं और उसके प्यारों की इज्जत और हुर्मत का ख्याल न करूं। नौजवान-- शाबाश शायाश !!अब जो कुछ तुम्हारी राय होगी वही किया जायेगा। यह बताओ कि अब तुम लौट जाओगे या प्रताप-मैं अब आप लोगों का साथ छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। कहारों को हुक्म दीजिये कि पालकी उठावें और सडक के नीचे उतर चलें। यद्यपि पालकी के अन्दर बैठी वह बेचारी कमसिन औरत प्रताप की सब बातें सुन रही थी तथापि नौजवान ने उसके पास जाकर सब हाल कहा और दिलासा देकर प्रताप के पास चला आया। हुक्म पाकर कहारों ने पालकी उठाई, नौजवान घोडे पर सवार हो गया। पालकी सड़क के नीचे उतर कर खेत ही खेत रवाना हुई और सब हिफाजत करने वाले उसे घेर कर जाने लगे। इस समय चन्द्रदेव उदय होकर मुसाफिरों को अपनी रोशनी या चादनी से मदद पहुचाने लग गये थे। सातवां बयान सड़क से उतर कर सवारी पुन तेजी के साथ रवाना हुई। अब चन्द्रमा की रोशनी चारो तरफ फैल चुकी थी इस लिय कहारों को खेत ही खेत चलने में भी विशेष तकलीफ नहीं होती थी। हमारा नौजवान और प्रतापसिह दोनों साथ ही साथ घोड़ा मिलाए जा रहे थे और उन दोनों में यों बातचीत होती जाती थी नौजवान- बादशाह को यह खबर कैसे लग गई? प्रताप-आजकल खबर लगना कौन बड़ी बात है ? चारोतरफ की चढाई के कारण दाराशिकोह को नींद तो आती नहीं। जब देखो तब जासूसों का बाजार गरम रहता है। इनाम पाने की उम्मीद में लोग चारो तरफ से तरह-तरह की खबरें लाकर उसे पहुचाया करते है और इस बात का कुछ भी खयाल नहीं करते कि झूठ-सच क्या है धर्म और अधर्म किसे कहते है ।युरों के साथ ही साथ मलों को भी पीस डालना कैसी बुरी बात है इत्यादि सभी वातों को छोडझूठी-सच्ची खबरें पहुचा कर हाथ रगना लोगों का काम हो रहा है। एक तो स्वय दाराशिकोह की अक्लमन्दी का हाल आपको मालूम ही है, तिसपर आज कल के मामले ने तो उसे यहा तक चौकन्ना कर दिया है कि वह बैठे बैठे हवा से भी इधर-उधर की खबरें पूछा करता है। किसी ने उसे यह भी कह दिया है कि उदयसिह छिप-छिपे औरगजेब से जा मिले है, रविदत्त ने भी उन्हीं का साथ दिया है और उन्हीं की आज्ञानुसार ये लोग (अर्थात् आप लोग) भी माग गये है। केवल इतना ही नहीं, न मालूम और मी क्या-क्या बातें लोगों ने कह दी हैं जिससे वह जल भुनकर खाक हो रहा है। मैं भी उसकी तरफ से बेफिक्र नहीं था. मुझे भी उसके क्रोध का हाल तुरन्त ही मालूम हो गया और सुनने के साथ ही में इस तरफ रवाना हुआ। नौजवान -- तुमने बहुत अच्छा किया जो हम लोगों को इत्तिला कर दी नहीं तो सडक ही सडक जाने से ताज्जुब नहीं कि पीछा करने वाले हम लोगों को पा लेते परन्तु अब आशा है कि हम लोगों का पता किसी को मालूम न होगा और हम लोग हिफाजत के साथ अपने ठिकाने पर जा पहुचेंगे। प्रताप-ठीक है इसके अतिरिक्त कदाचित कोई मिल भी गया तो शायद हमलोगों से लड़ने का साहस न करेगा, क्योंकि एक तो हम लोग पूरी हिफाजत के साथ है दूसरे शाहजादा साहब ( दाराशिकोड) के हुक्म की लामील भी पूरी नहीं होती। नौजवान- हा सो तो जरूर है क्योंकि नौकरों को दोनों तरफ के हुक्म का ख्याल रहता है दाराशिकोहर कुछ और ही हुक्म देता है और बादशाह सलामत गुप्त रीति से उसे कुछ और ही समझा देते हैं। देवकीनन्दन खत्री समग्र १२६८