पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Qri - तक मेरे बालवच्च वहा जमानत में फसे हुए है-तव तक में आपका साथ नहीं दे सकता बल्कि मै तो यहीं चाहता हूं कि इस वखडे में किसी का भी साथ न आखिर मुहम्मद सुलतान नाराज होकर दौलताबाद लौट आया मगर इससे औरगजेब को किसी तरह की नाउम्मीदी न हुई और न उसका हौसला ही कम हुआ। उसने फिर अपने छोटे बेटे सुलतान मुअज्जिम" को उसके पास भेजा। इस लड़के ने ऐसे दग से बातचीत की और इस तरह से दोस्ती का ढग दिखाया कि मीरजुमला खुश हो गया और उसकी बातों से किसी तरह इनकार न कर सका। उसने 'कल्यानी" के मुहासरे पर इतना जोर दिया कि आखिर किले पालो न लाचार हाकर किला खाली कर दिया। इस फतह के बाद वह अपनी चुनी हुई फौज को साथ लेकर ओरगजब के पास चला आया। मुलाकात के समय औरगजेब ने उसकी बड़ी खातिर की और बात बात में भाईजान, बाबाजान और बाबाजी इत्यादि के नाम से सम्बोधन करके उसे कई दफे गले से लगाया और इसके बाद मीरजुमला को एकान्त में ले जाकर बातचीत करने लगा। औरगजेब ने कहा, 'मुझे खूब मालूम है कि आपने मजबूरी की हालत में मेरे लड़के मुहम्मद सुलतान से यहा आने के वारे में इनकार किया था और मेरे बड़े-बड़े अक्लमन्द दर्वारी लोगों की भी यही राय है कि जब तक आपके बाल-बच्चे दाराशिकोह के काबू में है,आपको प्रकट में कोई ऐसा काम न करना चाहिये जिसमें लोग समझें कि हमारे आपके बीच दोस्ती है या आपने किसी तरह पर मेरी मदद की है। खैर आप ऐसे अक्लमन्द आदमी को मै क्या समझाऊ, आप जानते ही है कि दुनिया में हर एक मुश्किल काम का कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है, अस्तु मुझे एक तर्कीय सूझी है जिससे यद्यपि आपको ताज्जुब होगा मगर जब आप उसके कच-नीच को गौर के साथ सोचेंग तब आपको मालूम होगा कि आपके बालवच्चों की सलामती के लिये यह बहुत अच्छा दग है। वह यह है कि आप जाहिर में मेरे यहा कैद हो जाना कबूल कर लें, इससे दुनिया भर को मालूम हो जायेगा कि मेरे और आपके बीच दुश्मनी है, किसी को इस बात का शक भी न होगा कि आप ऐसे रुतबे का आदमी इस तरह सहज ही में कैद हो गया होगा। ऐसी अवस्था में हम लोग अपना काम बहुत अच्छी तरह निकाल लेंगे। इसके साथ ही मै आपकी फौज का एक हिस्सा, जिस तरह आप उचित समझेंगे, नौकर रख लूगा। इसके अतिरिक्त मुझे आशा है कि जिस तरह आप पहिले भी कई दफे मुझर्स वादा करते रहे है इस समय रुपयों की मदद देने से भी कभी इनकार न करेंगे, क्योंकि रुपयों की सख्त जरूरत है, आपके रुपयों और लश्कर से मै अपना नसीवा आजमाऊँगा। अव आज्ञा हो तो मै इसी समय आपको दौलताबाद के किले में पहुचा दूं, आप किसी तरह की चिन्ता न करें। वहा मेरा एक लड़का बराबर आपकी हिफाजत करता रहेगा। इसके बाद हम-आप मिलकर हर बात पर सलाह करते रहेंगे। ऐसी अवस्था में दाराशिकोह को आप पर कुछ शक न होगा और आपके माल बच्चों को किसी तरह की तकलीफ न देगा क्योंकि वह तो आपको मेरा दुश्मन समझेगा।' ओरगजेब की ऐसी बातें सुनकर मीरजुमला दग हो गया। वह समझ गया कि औरगजेब ने मेरे साथ दगा की। साथ ही उसने यह भी देखा कि औरगजेब के दोनों लड़के तलवार लिये उसके सर पर खड़े है। उनमें से बड़ा लड़का तो (जो मीरजुमला के यहा स वैरग वापस आया था) वेतरह मूओं पर ताव दे रहा है मानों सर काट लेने के लिये तैयार है। उसे मौका मौका देखकर सब कबूल कर लेना पड़ा और उसी दम कैद करके दौलताबाद के किले में भेज दिया गया। केवल इतना ही नहीं उसे रुपये पैसे से भी औरगजेब की मदद करनी पड़ी। मीरजुमला के कैद हो जाने के बाद उसके फौजी लोग और बड़े बड़े अफसर बिगड़ खड़े हुए और उन्होंने औरगजेब से कहा कि हमारे सार मीरजुमला को आप छोड़ दें नहीं तो अच्छा न होगा । मगर औरगजेब ने उन लोगों को भी उसी तरह की बातें समझाकर राजी कर विश्वास करा दिया कि मीरजुमला अपनी खुशी से कैद होकर गया है। इसके बाद औरगजेब ने लोगों को खूब इनाम भी दिया और तनख्वाह बढ़ाकर सभों को खुद नौकर रख लिया बल्कि अपनी हिम्मत दिखाने के लिये तीन महीने की तनख्वाह पेशगी द दी। इस तौर पर मीरजुमला की फौज भी उस लड़ाई के लिए तैयार हो गई जिसकी औरगजेब को जरूरत थी। ऐसा होने से उसकी फौजी ताकत भी खासी हो गई।' पाठक आप इस लम्बी-चौड़ी कहानी, नहीं नहीं बल्कि सच्ची ऐतिहासिक घटना को पढकर घबड़ा नजायें और यह न कहें कि 'व्यर्थ का पचड़ा निकाल दिया है जिसमें किसी तरह की दिलचस्पी नहीं है। इन बातों का लिखना बहुत जरूरी था क्योंकि इस किस्से के नायक उदयसिह और नायिका राजकुमारी धनवन्ती को जिस औरगजेब से पाला पड़ा है. उसके मिजाज की कैफियत और जमाने से सम्बन्ध है, उसके हाल से पूरा-पूरा जानकार हो जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त अगर हम इन सब बातों को एक साथ ही न लिख दिए होते तो आगे चलकर जगह-जगह पर जरा-जरा सी बात के लिए बहुत कुछ लिखना पड़ता। इन सब कामों से छुट्टी पाकर औरगजेब ने सूरत की तरफ कूच किया जहा मुरादबख्शा ने चढ़ाई की थी क्योंकि उसे खबर मिली थी कि अभी तक मुरादबा उस किले को फतह न कर सका। मगर कई मजिल जाने के बाद उसने सुना कि वह किला फतह हो गया परन्तु वहा से मुरादबख्श को कुछ विशेष रकम नहीं मिली। अस्तु औरगजेब ने मुबारकबाद के साथ मीरजुमला का सब हाल मुरादवख्श को लिख भेजा और यह भी लिख भेजा कि अब फौज और देवकीनन्दन खत्री समग्र १२८६