पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३

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६ कुछ देर तक सोचते विचारते रही यकायक यदन में कपकपी हुई और सिर उठाया हिम्मत ने कलजा ऊंचा किया। घोडों के चारजामों में जो कुछ झपया अशर्फी आर जवाहिरात था निकाल कर कमर में रक्या, ऊपर से लॅगाटा कमा और एक कटार कमर में छिपाने वाद अपन पहिरने के कपडे वगैरह वहीं फेंक बदन में मिट्टी मल अवधूती सूरत बना फिर उस गाँव की तरफ चले मन में कहते जाते थ– 'विना रनवीरसिंह के इस दुनिया में जिन्दगी रखने वाला में नहीं है। या तो उन्हें ढूँढ ही निकालूंगा या अपनी भी वही दशा करूँगा जो सोच चुका हूँ। तीसरा बयान रात आधी से ज्याद जा चुकी थी जब जसवन्तसिह अवधूती सूरत बनाए उत्स गाँव की तरफ रवाना हुए। रनवीरसिह की याद में ऑसू बहात ढूँढने की तीवें सोचते चले जा रहे थे। यह बिल्कुल मालूम नहीं था कि उनका दुश्मन कौन है या किसने उन्हें गिरफ्तार किया होगा। व सवार भी फिर उस तरफ नहीं लौटे जिधर से आए थे। जसवन्तमिह अमी उस गाँव के पास भी नहीं पहुंचे थे बहुत दूर इधर ही थे कि सामने से बहुत से घोड़ों के टापों की आवाज आने लगी जिस सुन ये चौक पडे और सिर उठा कर देखने लगे। कुछ ही देर में बहुत से सवार जो पचास से कम न होंगे वहों आपहुँचे । जसवन्तसिह को दख सभों ने घोडा रोका मगर एक सवार न जोर से कहा, 'सभों के रुकने की कोई जरूरत नहीं हरीसिंह अपने दसो सवारों के साथ रुके, हमलाग बढते है। इतना कह उसी पहाडी की तरफ रवाना हो गए जहाँ त रनवीरसिह गायब हुए थे। कुल सवार तो उस पहाडी की तरफ चले गए मगर ग्यारह सवार जसवन्त सिह के सामने रह गए जिनमें से एक ने जिसका नाम हरीसिह था आगे बढ कर इनसे पूछा---- 'वावाजी, आप कौन है और कहा से आ रहे है ? जसवन्त मै एक गरीय साधु हूँ और (हाथ से बता कर) उस पहाडी के नीचे से चला आ रहा हूँ। सवार--वहाँ किसी आदमी को देखा था? जसवन्त-हॉ पाँच सवारों का मने दखा था जो पहाडी के ऊपर जा रहे थे। हरीसिह- (चौक कर) पहाडी के ऊपर जा रहे थे ? जसवन्त-जी हाँ पहाडी के ऊपर जा रहे थे। हरीसिह-गजब हो गया !मला उन सभों ने वहाँ से किसी को गिरफ्तार भी किया ? जसवन्त-हॉ पहाडी के ऊपर से एक दिनावर खूबसूरत जवान का गिरफ्तार कर ले गए जिसे मैंने कल उस बाग में देखा था। हरीसिह-यह किस वक्त की बात है? जसवन्त-आज ही शाम की। हरीसिह आप उस पहाड़ी के ऊपर क्यों गए थे? जसवन्त-इसी तरह जी में आया कि ऊपर एकान्त जगह होगी. चल के धूनो जगावेंगे, मगर ऊपर जाकर और ही कैफियत देखी इससे लौट आया। हरीसिह-मला आप उस बेचारे के बारे में और भी कुछ जानते है जिसे दुष्ट सवार गिरफ्तार करके ले गए है। इस सदार (हरीसिह) की बातचीत सेजसवन्तसिह को विश्वास हो गया कि यह हमलोगों का दोस्त है दुश्मन नहीं इसके साथ मिलने में काई हर्ज नहीं होगा। यहे सोच उन्होंने जवाब दिया, "हॉ मै उस बेचारे के बारे में बहुत कुछ जानता ह, कई दिनों तक साथ रह चुका हू/- सवार-अगर आप घोडे पर चढ सकत है तो आइये मेरे साथ चलिये किसी तरह उन्हें कैद से छुड़ाना चाहिये। जस बहुत अच्छा मै आपके साथ चलता है। उत्त सवार ने एक दूसरे सवार की तरफ देख कर कहा "तुम घोडे पर से उतर जाओ, बावाजी को चढने दो सवार 'बहुत अच्छा कह के उतर गया। बाबाजी (जसवन्तसिह) उछल कर उस घोडे पर सवार हो गए और वरावर घाडा मिलाये हुए तेजी के साथ उस पहाडी की तरफ रवाना हुए। कुसुम कुमारी १०४१