पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३०

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18 कुमार चाहते तो शायद यहां से निकल भागते क्योंकि उस औरत की तरफ से होशियार हो चुके थे मगर इस काम में उन्होंने यह समझ कर जल्दी न की कि इस औरत का कुछ हाल मालूम करना चाहिए और जाना चाहिए कि यह कौन है। पर कमलिनी को कुमार के दिल की क्या खयर थी, उसने तो साथ रक्या था कि मैन कुमार पर एहसान किया है और वे किसी तरह पर मुझसे बदगुमान न होंगे। कुमार के पास इस समय सिवाय कपड़ों के काई धीज ऐसी थी जिससे वे अपनी डिफाजत करने या समय पड़न पर मतलब निकाल सकते। कुछ दिन बाकी था जय कुमार उस मकान की छत पर चढ़ गए और चारों तरफ के पार जगल या मैदान की वहार देखने लगे। कुमार को यह जग बहुत ही पसद आई और उन्हों। दिल में कहा कि यदि इश्वर की इच्छा हुई। सब बखेडों से छुट्टी पा कर किशोरी के साथ रहकर कुछ दिनोंकि इसम फारम जार २६ग। भोड़ी दर प्रकृति को शोभा देख कर दिल बहलाते रहे जब सूर्य अस्त हो गया सो कमलिनी भी पापा की और कुमार कसी हाकर बातचीत करने लगी। कम यहाँ से अच्छी बहार दिखाईदता है! कुमार-ठीक है मगर यह घटा भर दिल को किसी तरह नही पहला सकती। कम-सा क्यों? कुमार-तरह-तरह की फिकी और तरददुदो मजदुरकर का अलिक या आने और मार लिन से तरददुद और भी ज्याद हो गया। कम-यहाँ आकर करसी फिक्र बढ़ गई। कुमार-यता तब कह सकता हूंजय कुछ तुम्हारा हाल मालूमता अनीता - यही नहीं जानता कि तुम कौन और कहा की रहने वाली हो और इस मकान में आ कर की सदर क्या है। कम-कुमार मुझे आपसे बहुत कुछ बाते कहा। इस कोई सका किरदार में आप तर तरह की बात सोचते हाँग कभी मुझेयरख्याह तो कभी बदख्या समजत हाँग बल्कि बदमाहाराका होज्या मिलता होगा। अक्सर उन लोगों न जो मुझे जानते है मुझ रोता और सूतो समस्या और घाम उनका कोई कसूर भी नहीं 1 में उन लागों का जिक्र इस समय केवल इसीलिए करती हूँ कि शायद उन लागान जो केवल दो तीन पवार मात्र है कुछ चधा आपसे की हा। कुमार नहीं मैन किसी से कनी तुम्हारा जिक्र नही सुना । कम-खैर एसा मौका न पड़ा होगा पर मरा मतलब यह है कि जब तक + अपना से अछ । कमी मरे बार में कोई भी अपनी राय ठीक नहीं कर सकता और इतने ही में सीढ़ी पर किसी के पैर की धाममाहट मालूम हुई जिसे सुनकर दागोभी और उसी तरफ देखने लगे। कुमार-इस मकान में तो केवल तुम्ही रहती हो। कम नही और भी कई आदमी रहता है, मगर 4 लाग उस समय नहीं थे जब आप आए थे। दालौडिया आती हुई दियाई पड़ा। एक के हाथ में घाटा सालीचा था दूसरी के हाथ में शमादान और तीसरी पानदान लिए हुए थी। गालीचा विधा दिया गया शभादान और पानदान रखकर लोनिया हाय जोडे सामने खड़ी हो। गई। कमलिनी के कहन से कुमार गाली पर बैठ गए और कमलिनी भी पास बैठ गई। इस समय इन तीनो लोडियो का वहाँ पहुच कर बातचीत में बाधा डालना कुमार या धुरा मालूम हुआ क्योकि यही मार से कमलिनी की बात सुन रहे थे और इस बीच में उनके दिल की अजीय हालत थीं। कुमार ने कमलिनी की तरफ देख के कहा हा तुम अपनी बातो का सिलसिला मत तोड़ो। कम-(लौडियों की तरफ देख कर ) अच्छा तुम लाग जाओ बहुत जल्द याने का बन्दोबस्त करो। कुमार-अभी खाने के लिए जल्दी न करो। कम-खैर ये लोग अपना काम पूरा कर रक्या आप जब चाहे भाजन करे। कुमार-अच्छा हा तब? कम-(डबै स पान निकाल कर ) लीजिए पान खाइए । कुमार ने पान हाथ मे रय लिया और पूछा “हा तर? कम-पान खाइए आप डरिए मत इसमें बेहोशी की दवा नहीं मिली है हां अगर आप ऐसा ख्याल करें भी तो कोई बेमौका नहीं। देवकीनन्दन खत्री समग्र