पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३१

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he कुमार-(हॅस कर ) इसमें कोई शक नहीं कि इतनी खैरख्वाही करन पर भी मै तुम्हारी तरफ से बदगुमान हूँ मगर तुम्हारी वाते अजय ढग पर चल रही हैं। (पान खाकर ) अब जो हा जब तुमने मेरी जान बचाई है तो कब हो सकता है कि तुम अपने हाथ से मुझ जहर दो। कम-(हॅस कर) कुमार यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि आप मुझ पर शक करें। माधवी की दोनों लौडियों का मामला भी जो अभी थोडी दर हुआ आप दख चुके हैं मुझ पर शक करने का मौका आपको दगा ! मगर नहीं आप पूरा विश्वास रखिए कि मैं आपके साथ कभी बुराई न कलॅगी । कई आदमी मेरी शिकायत आपसे करेंगे आप ही के कई ऐयार असल हाल जानने के कारण मेरे दुश्मन हो जायेंगे मगर सिवाय कसम खाकर कहने के और किस तरह आपको विश्वास दिलाऊँ कि मैं आपकी खैरख्वाह हूँ। आप यह भी सोच सकते हैं कि मैं आपके साथ इतनी खैरख्वाही क्यों कर रही हूँ दुनिया का कायदा है कि विना मतलब कोई किसी का काम नहीं करता और मै भी दुनिया के बाहर नहीं हूँ, अस्तु मैं भी आप से बहुत कुछ उम्मीद करती हूँ मगर उस जुबान से कह नहीं सकती। अभी आपको मुझसे वर्षों तक काम पड़ेगा जब आप हर तरह से निश्चिन्त हो जायेंगे आपकी किशोरी जो इस समय रोहतासगढ़े में कैद है आपको मिल जायगी इसके अतिरिक्त एक और भी भारी काम आपके हाथ से हो लेगा तय कही मेरी मुराद पूरी होगी अर्थात उस समय मुझे जो कुछ आपस मॉगना होगा मॉगूंगी। आप मेरी बात याद रखिएगा कि आप ही के एयार मेरे दुश्मन होंगे और अन्त में झख मार के मुझ ही से दोस्ती के तौर पर उन्हें सलाह लेनी पड़े।। आप यह भी न समझिए कि मै आज ही कल से आप की तरफदार बनी हूँ, नहीं बल्कि मै महीनों से आपका काम कर रही हूँ और इस सवय से सैकड़ों आदमी मेरे दुश्मन हो रहे है। दुश्मनों ही के डर से मै इस तालाब में छिप कर बैठी रहती हूँ क्योंकि जिन्हें इसका भेद मालूम नहीं है वे इस मकान के अन्दर पैर नहीं रख सकते। आप मुझे अकेली समझते होंग मगर मैं अकली नहीं हूँ, लौंडी सिपाही और एयार मिला कर इस गई गुजरी हालत में भी पचास आदमी मेरी ताबेदारी कर रहे है। कुमार-वे लोग कहाँ है? कम-उनमें से कई आदमियों को तो आप इसी जगह बैठे देखेंगे चाकी सभों को मैंने काम पर भेजा है। जब मै आपकी खैरख्याह हूँ तोकिशोरी की मदद भी जरूरही करनी पड़ेगी इसलिए मेरी एक ऐयारा रोहतासगढ किले के अन्दर भी घुस कर बैठी है और किशोरी के हाल चाल की खबर दिया करती है अभी कल ही उसने एक चीठी भेजी थी (कमर से चीटी निकाल कर और कुमार के हाथ में देकर) लीजिए यही चीठी है पहिले आप इसे पढ़ लीजिए फिर और कुछ कहूँगी। कुमार हाथ मे चीठी लेकर गौर से पढने लगे। यह वही चीठी थी जिस पर पहिले कुमार की निगाह पड़ चुकी थी और जिसे एक गुलदस्ते के नीचे से निकाल कर कुमार पड़ चुके थे। कुमार ने चोरी से उस चीठी को पढने का हाल कमलिनी स कहना मुनासिब न समझा और उसे इस तौर पर पढ़ गए जैसे पहली दफे वह चीठी उनके हाथ में पड़ी हो। परन्तु इस समय इस तरह कमलिनी के हाथ से इस चीठी को पाकर कुमार का ख्याल बिल्कुल बदल गया और कमलिनी उनकी दुश्मन नहीं है इस बात को वे अच्छी तरह समझ गए मगर साथ ही साथ उनके दिल में एक दूसरी ही तरह की उत्कण्टा बढ़ गई और वे यह जानने के लिए व्याकुल हो गए कि कमलिनी और इसकी ऐयारा ने रोहतासगढ किले में पहुँच कर क्या किया। पाटक शायद आप इस चीठी का मजमून भूल गए होंगे मगर आप उसे याद करें या पुन पढ जायें क्योंकि उसके एक एक शब्द का मतलय इस समय कमलिनी से कुमार पूछना चाहते है। कुमार-मैं नहीं कह सकता और न मुझे मालूम ही है कि तुम इतनी भलाई मरे साथ क्यों कर रही हो तो भी मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस समय मुझे चिन्ता में डाल कर दु ख न दोगी बल्कि जो मैं पूलूँगा उसका ठीक-ठीक जवाब दागी। कम--आप मेरी तरफ से किसी तरह का बुरा खयाल न रखें। आज मैं इस बात पर मुस्तैद हूँ कि अगर आपको कष्ट न हो ता रात भर जाग क बहुत कुछ हाल जो अब तक आपको मालूम नहीं है और आपके मतलब का है आपसे कहूँ और जा जो सवाल आप कर उसका जवाब हूँ। कुमार--मुझ तुम्हार इस कहने से बड़ी खुशी हुई अच्छा पहिले इस बात का जवाब दो कि तुम्हारी वह ऐगारा जो रोहतासगढ में है और इस चीठी के पढने से जिसका नाम तारा मालूम होता है रोहतासगढ में किस तौर पर है? जहाँ तक मैं सोचता हूँ वह भष बदल कर नौकरी करती होगी? कम-नहीं उसने नौकरी नहीं की बल्कि यहाँ इस तौर पर छिप कर रहती है कि वहाँ क किसी आदमी को उसका पता लग जाना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ५