पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३५

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Jest कुमार-धेशक ऐसी ही बात है मरे पास कोई ऐसी चीज तो नहीं है जो तुम्हारी नजर के लायक हो खैर इसके बदल में मै खुद अपने को तुम्हारे हाथ में देता हूँ। कम-वाह क्या खूब। कुमार-सो क्यों? कम-आपको अपने बदन पर अख्तियार ही क्या है यह तो किशोरी की मिलकियत है। कुमार लाजवाब हो गए और हँस कर चुप हो रहे। कमलिनी बडी ही खूबसूरत थी इसके साथ ही साथ उसकी अच्छी चालचलन मुरौवत अहसान और नेकियों ने कुमार को अपना तावेदार बना लिया था। उसकी एक एक बात पर कुमार प्रसन्न होते और दिल में बराबर उसकी तारीफ करते थे। कुमार-कमलिनी मै तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ मगर ईश्वर के लिए सच सच जवाब देना घात बना कर टालने की सही नहीं। कम-कहिए तो सही क्या बात है ? रग-बेढंग मालूम होता है। कुमार-अगर सच जवाब देने का वादा करो तो पूछू नहीं तो व्यर्थ मुँह क्यों दुखाऊँ। कम-आपकी नजाकत तो औरतों से नी बढ गई जरा सी बात कहने में भी मुंह दुखा जाता है दम फूलने लगता है। खैर पूछिये मै वादा करती हूँ कि सच्चा जवाब दूंगी अगर कहिए तो कागज पर लिख दूं। कुमार-(मुस्कुरा कर ) यह ता तुम वादा कर चुकी हो कि अपना हाल पूरा पूरा मुझसे कहोगी मगर इस समय मैं तुमसे केवल इतना ही पूछता हूँ कि तुम्हारा कोई वली वारिस भी है या नहीं। तुम्हारे व्यवहार से स्वतन्त्रता मालूम होती है और यह भी जाना जाता है कि तुम कॅारी हो । कम-यह सवाल जवाब दने योग्य नहीं है (मुस्कुरा कर ) परन्तु क्या किया जाय वादा करके चुप रहना भी मुनासिब नहीं! वास्तव में मै स्वतन्त्र हूँ। कुँआरी तो हूँ परन्तु शीघ ही मेरी शादी होने वाली है। कुमार-कब और कहाँ? कम-पह दूसरा सवाल है इसका सच्चा जवाब देने के लिए मैंने वादा नहीं किया है इसलिए आप इसका उत्तर न पा सकेंगे। कुमार-अगर इसका भी जवाब दो तो क्या कोई हर्ज है? कम-हॉ हर्ज है बल्कि नुकसान है। कुमार चुप रहे और जिद करना मुनासिब न जाना मगर यह सुन कर कि शीघ ही मेरी शादी होने वाली है कुमार को कुछ रज हुआ। क्यों रज हुआ? इसमें कुमार की हानि ही क्या थी? क्या कुछ दूसरा इरादा था? नहीं नहीं कुमार यह नहीं चाहते थे कि हम ही इससे शादी करें वे किशोरी के सच्चे प्रेमी थे मगर खुवसूरती के अतिरिक्त कमलिनी के अहसानों ने कुमार को तावेदार बना लिया था और अभी उन्हें कमलिनी से बहुत कुछ उम्मीद थी तथा यह भी सोचते थे कि ऐसी तीय | आर्व जिससे इस अहसान का बदला चुक जाय। मगर इन बातों से कुमार के रज होने का मतलब नहीं खुला। खैर जो हो पहिले यह तो मालूम हो कि कमलिनी है कौन । वे दोनों आदमी भी छत पर आ पहुंचे जो माधवी को लाए थे हाथ जोड़ कर सामने बैठ गए। कमलिनी ने उनसे खुलासा हाल कहने के लिए कहा और उन दोनों में से एक ने इस तरह कहना शुरु किया दोनों-हम दोनों हुक्म के मुताबिक यहाँ से जाकर माधवी को खोजने लगे मगर उसका पता गयाजी और राजगृही के इलाकों में कहीं न लगा : लाचार होकर रोहतासगढ किले के पास पहुंचे और पहाडी के चारों तरफ घूमने लगे। कभी कभी रोहतासगढ की पहाडी के ऊपर भी जाते और घूम घूम कर पता लगाते कि वहाँ क्या हो रहा है। एक दिन रोहतासगढ़ पहाड़ी के ऊपर घूमते फिरते यकायक हम दोनों एक खोह के मुहाने पर जा पहुंचे और वहाँ कई आदमियों के धीरे धीरे बातचीत करन की आवाज सुन कर एक झाडी में जहाँ से उन लोगों की आवाज साफ सुनाई देती थी छिप रहे। अन्दाज से यह मालूम हुआ कि वे लोग कई आदमी है और उन्हीं के साथ एक औरत भी है। नीचे लिखी बातें हम लोगों ने सुनी- एक-न मालूम हम लोगों को कब तक यहाँ अटकना और राह देखना पड़ेगा। दूसरा-अब हम लोगों को यहाँ ज्यादे दिन न रहना पड़ेगा या तो काम हो जायेगा या खाली ही लौट कर चले जाने की नौबत आवेगी। तीसरा-रग तो ऐसा ही नजर आता है भाई जो हो हमें तो यही विश्वास होता है कि बीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग तहखाने में घुस गये क्योंकि पहले कभी एक आदमी तहखाने में आता जाता नजर नहीं आता था बल्कि मैं तो यहाँ तक चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ५ ३११