पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३५२

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LEO नौवॉ बयान गिल्लन का साथ लिए हुए वीची गौहर राहतासगढ किले के अन्दर जा पहुंची। किले के अन्दर जाने में किसी तरह का जाल फैलाना न पडा और न किसी तरह की कठिनाई हुई। वह वेधडक किल के उस फाटक पर चली आईजा शिवालय के पीछे की तरफ था और छोटी खिड़की के पास खडी होकर खिड़की (छोटा दरवाजा) खोलने के लिए दर्यान को पुकारा जब दर्वान ने पूछा तू कोन है ? तो उसने जवाब दिया कि में शेरअली खों की लडकी गोहर हूँ। उन दिनों शेरअलीखों नामी पटने का सूबदार था। वह शख्स वडा ही दिलर जयामर्द आर युद्धिमान था साथ ही इसके दगाबाज भी कुछ कुछ था मगर इसे वह राजनीति का एक अग मानता था। उसके इलाके भर में जा कुछ उसका राआव था इस कहाँ तक कहा जाय दूर दूर तक के आदमी उसका नाम सुनकर काप जाते थे। उसके पास फांज ता केवल पाच ही हजार थी मगर वह उससे पचीस हजार फौज का काम लता था क्योंकि उसन अपन ढग क आदमी चुन कर अपनी फौज में भरती किए थे। गौहर उसी शेरअलीखा की लडकी थी और वह मोहर की मौसरी बहन थी जो चुनारगढ के पास वाल जगल में माधवी क हाथ स मारी गई थी। शेरअलाखा अपनी जोरु को बहुत चाहता था और उसी तरह अपनी लड़की गौहर को भी हद स ज्यादा प्यार करता था। गोहर का दस वर्ष की छोड़ कर उसकी मा मर गई थी। माँ के गम म गौहर दीवानी सी हो गई। लाचार दिल बहलाने क लिए शरअलाखॉ ने गोहर का आजाद कर दिया और वह थाड से आदमियों को साथ लेकर दूर दूर तक सेर करती फिरती थी। पाँच वप तक वह इसी अवस्था में रही इसी बीच म आजादी मिलन के कारण उसकी चालचलन में भी काफी फर्क पड़ गया था। इस समय गौहर की उम्र पन्द्रह वप की है। शेरअलीखों दिग्विजयसिह का दिली दास्त था और दिग्विजयसिह भी उसका भरोसा बहुत रखता था। गोहर का नाम सुनत ही दर्यान चोका और उसने उस अफसर का इत्तिला दीजो कई सिपाहियों को साथ लकर फाटफ की हिफाजत पर मुरतेद था। अफसर तुरन्त फाटक पर आया और उसने पुकार कर पूछा आप कौन है ? गौहर-- शेरअलीखों की लड़की गौहर हूँ। अफसर-इस समय आपका सकत बताना चाहिए। गौहर-हा बताती हूँ, जोगिया । जागिया सुनत ही अफसर ने दर्वाजा खालने का हुक्म दिया आर गिल्लन का साथ लिए हुए गौहर किले के अन्दर पहुँच गई! मगर गौहर विल्कुल नहीं जानती थी कि थोड़ी ही दूर पर एक लम्बे कद का आदी दीवार के साथ चिपका खडा है और उसकी बातें जा दर्वान के साथ हो रही थी सुन रहा है। जब गौहर किले क अन्दर चली गई उसक आधे घण्टे बाद एक लम्य कद का आदमी जिसे अब भूतनाथ कहना उचित है उसी फाटक पर पहुचा और दर्वाजा खोलन के लिए उसने दर्शन को पुकारा । दर्वान-तुम कोन हा? भूत-मै शरअलीखों का जासूस हूँ। दर्वान-सकत बताओ। भूत-जोगिया । दवाजा तुरन्त खोल दिया गया और भूतनाथ भी किले के अन्दर जा पहुंचा। गौहर वही परिचय देती हुई राजमहल तक चली गई। जव उसके आने की खबर राजा दिग्विजयसिह को दी गई उस समय रात बहुत कम याकी थी और दिग्विजयसिंह मसहरी पर बैठा हुआ राजकीय विषयों में तरह तरह की बातें सोच रहा था। गौहर के आन की खबर सुनते ही दिग्विजयसिह ताज्जुब में आकर उठ खडा हुआ उसे अन्दर आन की आज्ञा दी बल्कि खुद भी दाजे तक इस्तकबाल के लिए आया और बडी खातिरदारी से उसे अपने कमर में ले गया। आज पाँच वर्ष बाद दिग्विजयसिह ने गोहर को देखा इस समय इसकी खूबसूरती और उठती हुई जवानी गजव करती थी। उसे देखते ही दिग्विजयसिह की तबीयत डोल गई मगर शरअलीखों के डर से रग न बदल सका। दिग्विजय इस समय आपका आना क्योंकर हुआ और यह दूसरी आपके साथ कौन है ? गौहर-यह मेरी ऐयारा है। कई दिन हुए केवल आपसे मिलने के लिए सौ सिपाहियों को साथ लेकर मै यहाँ आ रही थी इत्तिफाक से वीरेन्द्रसिह के जालिम आदमियों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। मेरे साथियों में से कई मारे गए और कई कैद देवकीनन्दन खत्री समग्र ३२८