पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३५३

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erupt । हो गए। मैं भी चार दिन तक कैद रही आखिर इस चालाक ऐयारा ने जो कैद होने से बच गई थी मुझे छुडाया। इस समय सिवाय इसके कि मै इस किले में आ घुसूं और कोई तदबीर जान बचाने की न सूझी सुना है कि वीरेन्द्रसिह वगैरह आजकल आपके यहाँ केद है। दिग्विजय-हाँ वे लोग आज कल कैद हैं। मैंने यह खबर आपके पिता को भी लिखी है। गौहर-हाँ मुझे पता है। वे भी आपकी मदद को आने वाल हैं उनका इरादा है कि बीरेन्द्रसिह के लश्कर पर जो इस पहाडी के नीचे है छापा मारें। दिग्विजय हाँ मुझे ता एक उन्हीं का भरोसा है। यद्यपि शेरअलीखों के डर से दिग्विजयसिह गौहरके साथ अदव का यताव करता रहा मगर कम्बख्त गौहर को यह मजूर न था। उसने यहाँ तक हावभाव और चुलबुलापन दिखाया कि दिग्विजयसिह की नीयत बदल गई और वह एकान्त खोजन लगा। गौहर तीन दिन से ज्याद अपने का न बचा सकी। इस बीच में उसने अपना मुंह काला करके दिग्विजयसिह को काबू में कर लिया और दिग्विजयसिह से इस बात की प्रतिज्ञा करा ली कि बीरेन्द्रसिह वगैरह जितने आदमी यहाँ कैद है सभों का सिर काट कर किल के कॅगूरों पर लटका दिया जायगा और इसका बन्दोबस्त भी होने लगा। मगर इसी बीच में भैरोसिह रामनारायण और चुन्नीलाल ने जो किले के अन्दर पहुंच गए थे वह धूम मचाई कि लोगों की नाक में दम कर दिया और मजा तो यह कि किसी को कुछ पता न लगता था कि यह कारवाई कोन कर रहा है। दसवॉ बयान श्रीरेन्द्रसिह के तीनों ऐयारों ने रोहतासगढ़ के किले के अन्दर पहुँचकर अन्धेर मचाना शुरु कर दिया। उन लोगों ने निश्चय कर लिया कि अगर दिग्विजयसिंह हमारे मालिकों को न छोडेगा तो एयारी के कायदे के बाहर काम करेंगे और रोहतासगढ़ का सत्यानाश करके छोडेंगें। जिस दिन दिग्विजयसिंह की मुलाकात गौहर से हुई थी उसके दूसरे ही दिन दार के समय दिग्विजयसिह को खबर पहुँची कि शहर में कई जगह हाथ के लिखे हुए कागज दीवारों पर चिपके हुए दिखाई देते है जिनमें लिखा है- योरेन्द्रसिह के एयार लोग इस किले में आ पहुंचे। यदि दिग्विजयसिह अपनी भलाई चाहें तो चौबीस घण्टे के अन्दर राजा वीरेन्द्रसिह वगैरह को छोड़ दें नहीं तो देखते देखते रोहतासगद सत्यानाश हो जायगा और यहाँ का एक आदमी जीता न बचेगा। राजा बीरेन्द्रसिह के ऐयारों का हाल दिग्विजयसिह अच्छी तरह जानता था। उन लोगों का मुकाबला करने वाला दुनिया में कोई नहीं है। विज्ञापन का हाल सुनते ही वह कॉप गया और सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिए। इस विज्ञापन की खवर की बात शहर भर में फैल गई मारे डर के वहाँ की रिआया का दम निकला जाता था। सब कोई अपने राजा दिग्विजयसिह की शिकायत करते थे कि कम्बख्त ने बेफायदे राजा वीरेन्द्रसिंह से बैर मानकर हम लोगों की जान ली तीनों एयारों ने तीन काम बॉट लिए। रामनारायण ने इस बात का जिम्मा लिया कि किसी लोहार के यहाँ चोरी करके वहुत सी कीलें इकटठी करेंगे और रोहतासगढ में जितनी तो है सभों में कील ठोक देंगे *चुन्नीलाल ने वादा किया कि तीन दिन के अन्दर रामानन्द ऐयार का सिर काट शहर के चौमुहाने पर रक्खेंगे और भैरोसिह ने तो रोहतासगढ़ ही को चौपट करने का प्रण किया था। हम ऊपर लिख आए है कि जिस समय कुन्दन (धनपति) ने तहखाने में से किशोरी को निकाल ले जाने का इरादा किया था तो बारह नम्बर की कोठरी में पहुंचने के पहले तहखाने के दर्वाजे में ताला लगा दिया था मगर राहतासगढ दखल होने के बाद तहखाने वाली किताब की मदद से जो दारोगा के पास रहा करती थी वे दरवाजे पुन खोल लिए गये थे और इसलिए दीवानखाने की राह से तहखाने में फिर आमदरफ्त शुरू हो गई थी।

  • तोप में रञ्जक देने की प्याली होती है, उसके छेद में कील ठोंक देने से तोप बेकाम हो जाती है।

चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ५ ३२९