पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३७५

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lore कम-फिर क्या किया जाय तू ही बता इसमें मेरा क्या कसूर है। तारा--तुम्हें कोई भी दोषी नहीं ठहरा सकता इसमें कोई सन्देह नहीं कि महारानी अपने पैर में आप कुल्हाडी मार रही है। कम-हर एक लक्षण पर ध्यान देने स महारानी को भी निश्चय हा गया है कि ये ही दोनों भाई तिलिस्म के मालिक होंगे फिर उसके लिए जिद करना और उन दोनों की जान लेने का उद्योग करना भूल नहीं तो क्या है ? तारा-वेशक भूल है और इसकी वह सजा पायेंगी। तुमने बहुत अच्छा किया कि उनका साथ छोड दिया । (मुस्करा कर ) इसके बदले में जरूर तुम्हारी मुराद पूरी होगी। कम (ऊँची सास लेकर ) दखें क्या होता है। तारा-हाना क्या है। क्या उनकी आंखों ने उनके दिल का हाल तुमसे नहीं कह दिया ? कम-हा ठीक है खैर इस समय तो उन पर भारी मुसीवत आ पडी है जहा तक जल्द हो सके उन्हें बचाना चाहिए। तारा-मार मुझे ताज्जुब मालूम पडता है कि उनके छुडाने का कोई उद्याग किए बिना ही तुम यहा चली आई? कम-क्या तुझ मालूम नहीं कि नानक ने इसी ठिकाने मुझसे मिलने का वादा किया है ? उसने कहा था कि ज्य मिलना हा इसी ठिकाने आना। तारा-(कुछ सोच कर ) हा हा ठीक है अवे याद आया तो क्या वह यही जगह है ? कम-हा यही जगह है। तारा-मगर तुम तो इस तरह घोडा फेंके चली आई जैसे कई दफे आने जाने के कारण यहाँ का रास्ता तुम्हें बखूबी याद हो। कम-पेशक मै यहा कई दफे आ चुकी है बल्कि नानक का इस ठिकाने का पता पहिले मैंने ही बताया था और पहा का भेद भी कहा था। तारा-अफसोस इस जगह का भेद तुमने आज तक मुझसे कुछ नहीं कहा। कम-वद्यपि तू ऐयारा है और मैं तुझे चाहती हूँ परन्तु तिलिस्मी कायदे के मुताविक मेरे भेदों को तू नहीं जान सकती। तारा-सो ता में भी जानती हूँ मगर अफसास इस बात का है कि मुझसे तो तुमने छिपाया और नानक को यहाँ का भेद बता दिया। न मालूम नानक की कौन सी बात पर तुम रीझ गई हो। कम-(कुछ हँस कर और तारा के गाल पर धीरे से चपत मार कर ) बदमाश कहीं की मैं नानक पर क्यों रीझने लगी? तारा-(झुझला कर ) तो फिर ऐसा क्यों किया? कम-अरे उससे उस कोठरी की ताली न लेनी है जिसमें खून से लिखी हुई किताब रक्खी है। तारा-तो फिर ताली लेने के पहिल ही यहा का भेद उसे क्यों बता दिया? अगर वह ताली न दे तब? कम-ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि भूतनाथ ने मेरी दिलमजई कर दी है और वह भूतनाथ के कब्जे में है ! हा हा दह मेरे कब्जे में है- उसी समय यह आवाज पेडों के झुरमुट में स जो कमलिनी के पीछे की तरफ था आई और कमलिनी ने फिर कर देखा तो भूतनाथ की सूरत दिखाई पड़ी। कम-अजी आओ भूतनाथ तुम कहा ? मै बड़ी देर से यहा बैठी हूँ नानक कहा है? भूत-(पास आकर ) आ ही तो गये ( हाथ का इशारा करके ) यह देखो नानक भी आ रहा है। बात की बात में नानक भी वहां आ पहुंचा और कमलिनी को सलाम करके खड़ा हो गया। कम-कहो जी नानकप्रसाद अब वादा पूरा करने में क्या देर है ? नानक कुछ दर नहीं मैं तैयार हूँ, परन्तु आप भी अपना वादा पूरा कीजिए और समाधि पर हाथ रख कर कसम खाइये। कम- हाँ हाँ लो में अपना वादा पूरा करती हूँ। भूत-मेरा भी ध्यान रखना। कम-अवश्य। कमलिनी उठी और समाधि के पास जाकर खड़ी हो गई। पहिले तो उसने समाधि के सामने अदर से सिर झुकाया और तब उस पर हाथ रखकर यों बोली- मै उस महात्मा की समाधि पर हाथ रख कर कसम खाती हूँजो अपना साना नहीं रखता था हर एक शास्त्र का पूरा पण्डित पूरा भोगी भूत भविष्य और वर्तमान का हाल जानने वाला और ईश्वर का मच्चा भक्त था। यद्यपि यह चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ६