पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८५

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भूत-(सिर झुका कर ) जो हुक्म । पाँचवॉ बयान आधी रात स कुछ ज्यादे जा चुकी है। चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ है कभी कभी कुत्तों के भूकने की आवाज के सिवाय और किसी तरह की आवाज सुनाई नहीं देती। ऐस समय में काशी की तग गलियों में दो आदमी जिनमें एक औरत और दूसरा मर्द है घूमते हुए दिखाई देते है। ये दोनों कमलिनी और भूतनाथ है जो त्रिलोचनेश्वर महादेव के पास मनोरमा के मकान पर पहुंचने की धुन में कदम बढाये हुए तेजी के साथ जा रहे हैं। जब व दोनों एक चौमुहानी के पास पहुंचे तो देखा कि दाहिनी तरफ से एक आदमी पीठ पर गट्टर लादे आया और उसी तरफ को घूमा जिधर ये दोनों जाने वाले थे। कमलिनी ने धीरे से भूतनाथ के कान में कहा इस गठरी में जरूर कोई आदमी है। भूत-बेशक ऐसा ही है। इस आदमी की चाल पर भी मुझे कुछ शक जान पड़ता है ताज्जुय नहीं कि यह मनोरमा का नौकर श्यामलाल हो। कम-तुम्हारा शक ठीक हो सकता है क्योंकि तुम बहुत दिनों तक मनोरमा के मकान पर रह चुके हा और वहाँ के हर एक आदमी को बखूबी जानते हो। भूत-कहो तो इसे रोकें? कम-हाँ हाँ रोको जाने न पावे। भूतनाथ लपक कर उस आदमी के सामने गया और कमर में खजर निकाल उसके सामने चमकाया। उसकी चमक में भूतनाथ और कमलिनी न उस आदमी को पहिचान लिया मगर यह इन दोनों को अच्छी तरह न देख सका क्योंकि विजली की तरह चमकने वाली राशनी ने उसकी आखें बन्द कर दी और वह घबडा कर बैठ गया। भूतनाथ ने खजर उसके बदन से लगाया जिसकी तासीर से वह एक दफे कापा और वेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। भूतनाथ ने उसे उसी जगह पर छोड़ दिया और गठरी का कोना खोल कर देखा तो उसमें एक कमसिन औरत बंधी हुई पाई। कमलिनी के हुक्म से भूतनाथ ने वह गठरी अपनी पीठ पर लाद ली और मनोरमा के घर का रास्ता छोड दोनों आदमी गगा किनार की तरफ रवाना हुए। बात की बात में दोनों गगा के किनारे जा पहुंचे। इस समय चन्द्रमा की रोशनी अच्छी तरह फैली हुई थी। एक मढी के ऊपर बैठने के याद भूतनाथ ने वह गठरी खाली। उस बेहोश औरत के चेहरे पर चन्द्रमा की रोशनी पडते ही भूतनाथ चोक कर बोला ओफ यह तो कमला है। कमला होश में लाई गई। जब उसकी निगाह भूतनाथ के ऊपर पड़ी तो वह एक दम काप उठी। कमला को उस दिन की बात याद आ गई जिस दिन खण्डहर के तहखाने में अपने चाचा शेरसिह के पास भूतनाथ को देखा था कमला को शक हा गया कि इस समय वह जिसके हुक्म से बेहाश करके लाई गई वह भूतनाथ ही है। कमला की दूसरी नजर कमलिनी पर पडी मगर वह कमलिनी को पहिचान न सकी। यद्यपि कमला कमलिनी को रोहतासगढ पहाडी पर देख चुकी थी परन्तु इस समय कमलिनी उस भयानक राक्षसी के भेष में न थी रग काला जरूर था परन्तु लम्बे लम्बे दात उसके मुह में न थे इसी से वह कमलिनी को पहिचान न सकी। कमलिनी ने जब देखा कि कमला बहुत ही डरी हुइ और हैरान मालूम पडती है तो उसने कमला का हाथ पकड लिया और धीरे से दवा कर कहा कमला तू डर मत। हम लोगों ने इस समय तुझे एक दुश्मन के हाथ से छुडाया है। कमला-अव मरा जी ठिकाने हुआ मुझे उम्मीद है कि आप लोगों की तरफ स मुझे तकलीफ न पहुँचेगी। परन्तु आप लोगों को जानने के लिए मेरा जी वेचैन हो रहा है। कम-ठीक है जरुर तरा जी चाहता होगा कि हम लोगों का हाल जाने ओर इसी तरह मैं भी तुझसे बहुत कुछ पूछ। चाहती हूँ मगर इस समय केवल चार घण्टे के लिए तुझस जुदा हाती हूँ तब तक तू(नूतनाथ की तरफ इशारा करके) इनके साथ रह। किसी तरह से डर मत सबरी होने के पहिले ही मैं तुझसे आकर मिलूगी और बातचीत के बाद कुँअर इन्द्रजीतसिह के छुडाने का उद्योग करुंगी। कमला-मैं आपके हुक्म के खिलाफ कुछ न करूगी। मैं आपसे हर सरहे' पर भलाई की आशा रखती हूँ क्योंकि आपन मुझे एक ऐसे दुश्मन के हाथ से छुडाया है जिसका हाल में ही जानती हूँ। कम-अच्छा तो अब बातों मे समय नष्ट करना ठीक नहीं है। (भूतनाथ की तरफ देख कर) भूतनाय यहाँ छोटी छोटी बहुत सी डोंगिया बंधी हुई है सन्नाटा और मौका देखकर कोई एक डोंगी खोल लो और कमला को साथ लेकर गगा पार चले जाओ। मैमनोरमा के घर पर जाती हूँ, वहा से अपना मतलब साध कर सवेरा होने के पहिले ही तुमसे आ मिलूगी। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ६