पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८६

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कमला-(चौक कर ) क्या नाम लिया मनोरमा । हाय हाय वह तो चडी शैतान है हम लोगों को तो उसने तबाह कर डाला। क्या तुम उसके कम-डर मत मनारमा को मैंने कैद कर लिया है और अब एक जरूरी काम के लिए उसके घर जा रही हूँ। (असमान की तरफ देखकर) ओफ बहुत विलम्ब हुआ खैर अब मैं विदा होती हूँ, पुन मिलने पर सब हाल कहूँगी। कमलिनी वहाँ से रवाना हुई और थोड़ी देर में उस बाग के फाटक पर जा पहुंची जिसमें मनोरमा का मकान था। फाटक के साथ लोहे की एक जजीर लगी हुई थी जिसे हिलाने से दरवान ने एक छोटे से सूराख में से बाहर की तरफ देखा जो इसी काम के लिए बना हुआ था केवल एक औरत को दर्याजे पर मौजूद पाकर दरवान ने फाटक खोल दिया और जव कमलिनी अन्दर चली गई तो फाटक उसी तरह बन्द कर दिया गया और तब कमलिनी से पूछा तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो? कमलिनी-मुझे मनोरमाजी ने पत्र देकर अपनी सखी नागर के पास भेजा है तुम मुझे नागर के पास बहुत जल्द ले चलो। • दरवान-वह तो यहाँ नहीं हैं किसी दूसरी जगह गई है। कमलिनी-कब आवगी? दरबान-सा तो मैं ठीक नहीं कह सकता। कमलिनी-क्या तुम यह भी नहीं कह सकते कि वे आज या कल तक लौट आवेंगी या नहीं? दरवान-हाँ यह तो मैं कह सकता हूँ कि पाच चार दिन तक वे न आवेगी इसके बाद चाहे जब आवें । कमलिनी-अफसोस अब बेचारी मनोरमा नहीं बच सकती। दरबान (चौक कर) क्यों क्यों उन पर क्या आफत आई? कमलिनी-यह एक गुप्त बात है जो मै तुमसे नहीं कह सकती हॉइतना कहने में कोई हर्ज नहीं कि यदि तीन दिन के अन्दर उन्हें बचाने का उद्योग न किया जायगा तो चौथे दिन कुछ नहीं हो सकता, वे अवश्य मार डाली जायगी। दरयान-अफसोस यदि आप एक दिन तक यहाँ अटकना मजूर करें तो मै नागरजी के पास जाकर उन्हें बुला लाऊँ आपको यहॉ किसी तरह की तकलीफ न होगी। कमलिनी-(कुछ सोच कर ) मुझे एक जरूरी काम है इसलिए अटक तो नहीं सकती परन्तु कल शाम तक अपना काम करके लौट आ सकती हूँ। दरयान यदि आप ऐसा भी करें तो काम चल सकता है परन्तु आप अटक न जाय । यदि आपका काम ऐसा हो जिसे हम लोग कर सकते है तो आप कहें उसका बन्दोवस्त कर दिया जायगा। कमलिनी नहीं बिना मेरे गए वह काम नहीं हो सकता मगर कोई चिन्ता नहीं मैं कल शाम तक अवश्य आ जाऊँगी। दरबान-जैसी मर्जी आपकी मेहरबानी से यदि हमारे मालिक की जान बच जायगी तो हम लोग जन्म भर के लिए गुलाम रहेंगे। कमलिनी- अवश्य आऊँगी और उनके लिए हर तरह का उद्योग करूगी तुम जाती समय इसका बन्दोबस्त कर जाना कि यदि तुम्हारे लौट आने के पहले मैं यहां पहुंच जाऊँ तो मुझे यहाँ रहने में किसी तरह का तर द न हो। दरयान-इससे आप बफिक्र रहे मैं पूरा पूरा इन्तजाम करके जाऊँगा और नागरजी को लेकर बहुत जल्द लौटूंगा। फाटक खोल दिया गया और कमलिनी बाग के बाहर हो गई। वह अभी यीस कदम भी आगेन गई होगी कि एक आदमी बदहवास और दौडता हुआ उसी बाग के फाटक पर पहुंचा और दरवाजा खुलवाने का उद्योग करने लगा। कमलिनी जान गई यह वही आदमी है जिसके हाथ से अभी थोड़ी ही देर हुई है कमला को छुडाया है। कमलिनी उसी जगह आड में खड़ी होकर उसे देखने और कुछ सोचने लगी। जब बाग का फाटक खुल गया और वह आदमी अन्दर चला गया तो न मालूम क्या सोचती विचारती कमलिनी भी वहाँ से रवाना हुई और थोडी रात बाकी थी जब कमला और भूतनाथ के पास पहुची जो गगा पार उसके आने की राह देख रहे थे। कमलिनी को बहुत जल्द लौट आते देख भूतनाथ को ताज्जुब हुआ और उसने कहा- भूत-मालूम होता है कि कुछ काम न हुआ और आपको खाली ही लौट आना पडा । कम-हॉ इस समय तो खाली ही लौटना पड़ा मगर काम हो जाएगा। नागर घर पर मौजूद न थी उसका आदमी उसे बुलाने के लिए गया है। मैं कल शाम तक फिर वहां पहुंचने का वादा कर आई हूँ, इच्छा तो यही थी कि वहाँ अटक जाऊँ क्योंकि ऐसा करने से और भी कुछ काम निकलने की उम्मीद थी परन्तु कमला के खयाल से लौट आना पडा। मैं चाहती हूं कि कमला को रोहतासगढ रवाना कर दूं क्योंकि उसकी जुबानी कुछ हाल सुनकर राजा वीरेन्द्रसिह को दादस होगा और लड़कों के सोच में बहुत व्याकुल न रहेंगे । (कमला की तरफ देखकर ) तेरी क्या राय है ? देवकीनन्दन पत्री समग्र