पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८७

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ory कमला-जो कुछ आप हुक्म दें मै करने को तैयार हूँ परन्तु इस समय मैं बहुत सी बातों का भेद जानने क लिए यचैन हो रही हूँ और सिवाय आपके कोई दूसरा मेरी दिलजमई नहीं कर सकता। कम कोई हर्ज नहीं मैं हर तरह से तेरी दिलजमई कर दूगी। इतना सुन कर कमला भूतनाथ की तरफ देखने लगी। कमलिनी समझ गई कि यह निराल में मुझसे कुछ पूछा चाहती है अस्तु उसने भूतनाथ को वहाँ से हट जाने के लिए कहा और जब वह कुछ दूर चला गया तो कमला से वाली अब निराला हो गया जो कुछ कमला-मुझे आपका कुछ हाल भूतनाथ की जुबानी मालूम हुआ हे परन्तु उससे पूरी दिलजमई नहीं होती। मुझ पूरा पूरा पता लग चुका था कि कुँअर इन्दजीत सिह आपके यहाँ कैद है फिर न मालूम उन पर क्या आफत आई और उनके साथ आपने क्या सलूक किया। यद्यपि उस समय हम लोग आप के नाम से डरते थे परन्तु जब आपने कई दफे हम लोगों के साथ नेकी की जिसका हाल आज मालूम हुआ है तो यह बात अब मेरे दिल से जाती रही फिर भी कुँअर इन्द्रजीतसिह के बारे मे शक चना ही रहा है। कम-सुन मै तुझसे पूरा पूरा हाल कहती हूँ। यह तो तुझ मालूम ही हो चुका कि मै कमलिनी हूँ। कमला-जी हाँ यह तो ( भूतनाथ की तरफ इशारा करके ) इनकी कृपा से मालूम हो गया और इन्हीं के जुवानी यह भी जान गई कि रोहतासगढ़ में उस कब्रिस्तान के अन्दर हाथ में चमकता हुआ नेजा लेकर आप ही ने हम लोगों की मदद की थे औरबेहोश करके रोहतासगढ किले के अन्दर पहुंचा दिया था दूसरी दफे राजा बीरेन्द्रसिह वगैरह को रोहतासगढ कैदखाने से आप ही ने छुडाया था और तीसरी दफे उस खण्डहर में यकापफ विचित्र रीति से आप ही को पहुंचते हम लोगों ने देखा था। कम-यद्यपि कुछ लोगों ने मुझे बदनाम कर रक्खा है परन्तु वास्तव में में वैसी नहीं हूँ। मैं नेकों के साथ नेकी करन के लिए हरदम तैयार रहती हूँ, इसी तरह दुष्टों को मजा चखाने की भी नीयत रहती है। मैंने कुँअर इन्द्रजीतसिह क साथ किसी तरह की बुराई नहीं की बल्कि उनके साथ नेकी की और उन्हें एक बहुत बडे दुश्मन के हाथ से छुड़ाया। जब वे तुम लोगों से मिलेंगे और मरा हाल कहेंगे तब मालूम होगा कि कमलिनी ने सच कहा था। इसके बाद कमलिनी ने इन्द्रजीतसिह का अपने लश्कर स गायब हाना और उन्हें दुश्मन के हाथ से छुडाना कई दिनों तक अपन मकान में रखना माधवी को गिरफ्तार करना किशारी का रोहतासगढ़ के तहखाने से निकलना और धनपति के कब्जे में पडनां तारा के खबर पहुँचाने पर इन्द्रजीतसिह को साथ लकर किशोरी को छुड़ाने के लिए जाना रास्ते में शेरसिह और देवीसिंह से मिलना अग्निदत्त का हाल और अन्त में उस तिलिस्मी मकान के अन्दर सभी का कूद जाना कमला से पूरा पूरा बयान किया। कमला ताज्जुब स सब बातें सुनती रही और कमलिनी पर उस पूरा पूरा विश्वास हो गया। कमला फिर किशोरी और केअर इन्द्रजीतसिह उस खण्डहर वाल तहखाने में क्योकर पहुंचे? कम-वह खण्डहर एक छोटे से तिलिस्म से सम्बन्ध रखता है। एक औरत जो मायारानी के नाम से पुकारी जाती है और जिसका हाल कुछ दिन बाद तुम लोगों को मालूम होगा उस तिलिस्म पर राज्य करती है। मैं उसकी सगी बहन हूँ। हमारी तिलिस्मी किताव से साबित होता है कि कुँअर इन्द्रजीत सिह और आनन्दसिह उस तिलिस्म को तोड़ेंगे क्योंकि तिलिस्म तोड़ने वालों के जो लक्षण उस किताब में लिखे हैं वे सब इन दोनों भाइयों में पाए जाते है परन्तु मायारानी चाहती है कि तिलिस्म टूटने न पाये और इसीलिए वह दोनों कुमारों को अपने कैद में रखने अथवा मार डालने का उद्योग कर रही है। मैंने उसे बहुत कुछ समझाया ओर कहा कि तिलिस्म बनाने वालों के खिलाफ चलने और इन दोनों भाइयों से दुश्मनी रखने का नतीजा अच्छा न होगा परन्तु उसने न माना बल्कि मेरी भी दुश्मन बन बैठी अन्त में लाचार होकर मुझे उसका साथ छोड देना पडा। मैंने उस तालाब वाले मकान पर अपना कब्जा कर लिया और उसी में रहने लगी। उस मकान में मै वेफिक्र रहती हूँ।मायारानी के कई आदमियों ने जो नेक और इमानदार थे मेरा साथ दिया। तिलिस्म का जितना हाल उसे मालूम है उतना ही मुझे भी मालूम है यही सबब है कि यह अर्थात तिलिस्मी महारानी (मायारानी) वीरेन्द्रसिह और उनके खानदान के साथ दुश्मनी कर रही है और मैं हर तरह से उसकी मदद कर सकती हूँ। उस तिलिस्मी मकान के अन्दर इन्द्रजीतसिह और उनके साथियों तथा मेरे नौकरों का हसते हसते कूद जाना उसी तिलिस्मी महारानी की कार्रवाई थी और उस खण्डहर वाले तहखाने में जो कुछ तुम लोगों ने दखा वह सब भी उसी की वदौलत था। अफसोस गुप्त राह से मायारानी के बहुत से आदमियों के पहुंच जाने के कारण मैं कुछ कर न सकी। खैर कोई हर्ज नहीं कुँअर इन्द्रजीतसिह आनन्दसिह और किशोरी तथा कामिनी वगैरह का मायारानी कुछ भी नहीं बिगाड सकती क्योंकि उसकी असल जमा पूजी जो थी वह मेरे हाथ लग चुकी है जिसका खुलासा हाल इस समय मै नहीं कह सकती हाँ इतना प्रतिज्ञा-पूर्वक कहती हूँ कि उन लोगों को मैं बहुत जल्द कैद से छुड़ाऊँगी । चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ६