पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८८

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कमला-मैं समझती हूँ कि वह मकान भी तिलिस्मी होगा जिसके अन्दर कुँअर इन्द्रजीतसिह वगैरह हसते हँसत कूद पड़े थे। कम-नहीं उस मकान का तिलस्म से कोई सम्बन्ध नहीं यह नया बनाया गया है। मुझे उसकी खबर न थी इसी से में धोखे में आ गई, पीछे पता लगान से मालूम हुआ कि यह भी मायारानी की कार्रवाई थी। कमला--अब मेरा जी ठिकाने हुआ और आपकी वर्दालत अपनी प्यारी सखी किशोरी और कुँअर इन्द्रजीतसिह वगैरह के छूटने की उम्मीद हुई। अय आशा है कि आपकी कृपा से एक दफे मायारानी को भी देगी। कम-इसके लिए जल्दी करना मुनासिब नहीं में आज ही कल में तुझे अपन साथ मायारानी के घर ले चलती क्योंकि मुझे वहाँ जाने की बहुत जल्दी है परन्तु इस समय तेरा रोहतासगढ़ लोट जाना ही ठीक है क्योंकि राजा वीरेन्द्रसिह लड़कों की जुदाई में हद से ज्यादे दुखी होंगे तेरे लोट जाने से उन्हें ढाढस होगा और मरी जुबानी जो कुछ तूने सुना है जब उनसे बयान करेगी तो उन्हें एक प्रकार की आशा हो जायगी, हा एक यात तुझसे पूछना में भूल गई। कमला-वह क्या? कम--तू कहती है कि मै मायारानी को देखना चाहती है, ता क्या तून उसे नहीं देखा? उसी के आदमी तुझे गिरफ्तार करके ले गये थे जहाँ तक में समझती हूँ तू उसके पास जरूर पहुंचाई गई होगी। कमला-हाँ हाँ में एक जनाने दार में पहुंचाई गई थी मगर यह नहीं कह सकती कि वह मायारानी ही का दर्यार था या कोई दूसरा और यदि मायारानी ही का दार था तो कम-पहिले तू अपना हाल कह जा कि जब खण्डहर के अन्दर तहखाने में घुसी तो क्या हुआ और क्योंकर गिरफ्तार होकर कहाँ गई? कमला-जब हम लाग राजा वीरन्दसिह के साथ कुमार को निकालने के लिए उस खण्डहर वालतहखाने में गया तो वहाँ किसी को न पाया। सीढी के नीच एक छाटी कोठरी थी मै उसमें घुस गई। देखा कि पत्थर की एक सिल्ली दीवार से अलग होकर जमीन पर पड़ी हुई है और उस जगह एक आदमी के जाने लायक रास्ता है। उस दवाज के दूसरी तरफ एक और कोटरी नजर आई जिसमें चिराग जल रहा था। मैन आनन्दसिह और तारासिह को पुकारा जब वे आ गये तो तीनों आदमी उस काठरी के अन्दर घुसे जब दो तीन कदम आगे गये तायकायक पीछे से खटके की आवाज आई धून कर देखा तो रास्ते को धन्द पाया जिधर से आये थे। ताज्जुब में आकर हम लोग सोचने लगे कि अब क्या करना चाहिए। यकायक कई आदमी एक तरफ से निकल आये और उन लोगों ने फुर्ती के साथ एक एक चादर हम लोगों के ऊपर डाल दी। मुझे उस चादर की तंज महक कभी न मूलगी। सिर पर चादर पड़ते ही अजय हालत हा गई एक प्रकार की तेज महक नाक के अन्दर घुसी ओर उसन तनावदन की सुध भुला दी। न मालूम उसी दिन या कई दिन के बाद जब मै हाश में आई ता अपन का रात के समय एक जनान दर्यार में पाया। कम-वह दार कैसा था? कमला-वह दबार एक बारहदरी में था। जडाऊ सिहासन पर एक नौजवान औरत दक्षिणी ढग की पोशाक पहिने वैठी थी मै कह सकती हूँ कि सिवाय किशोरी के उसके मुकाबले की खूबसूरत औरत आज तक किसी ने न देखी होगी। कमा वह बस बस में समझ गई वही मारारानी थी हॉ और क्या देखा? कमला-उसक दाहिनी तरफ सोने की एक चौकी पर मृगछाला विछा हुआ था मगर उस पर काई बैठा न था। कम-वह तिलिस्म के दरोगा की जगह थी जो वृद्ध साधु के वेष में रहता है, मगर आज कल उसे राजा वीरेन्द्रसिंह ने कैद कर लिया है। कमला ताज्जुब स) राजा वीरेन्दसिह ने कर ओर किस तरोगा को कैद किया है? कम-उस तिलिरमी खण्डहर में जब तुम लाग गये तो किसी साधू को बहाश पाया था या नहीं ? कमला (कुछ सोच कर) हाँ हाँ एक कोठरी के अन्दर जिसमें एक मूरत थी। क्या वही तिलिस्मी दारांगा है ? कम-हाँ यह वही दारोगा है वही बहुत से आदमियों को साथ लेकर तहखाने में से कुमार को उठा लाने के लिए उस खण्डहर में पाया था मगर तारासिह की चालाकी से अपने साथियों क सहित येहोश हो गया। उस समय वेष बदले मेरा भी एक आदमी वहा मौजूद था मगर दूर ही से सब कुछ देख रहा था। हाँ तो उस दर में और क्या देखा? कमला-उस मृगछाला बिछी हुई चौकी के पास अर्धगोलाकार बीस जडाऊ कुर्सिया और थीं और उसी तरह सिंहासन के बाई तरफ छाटे जडाऊ सिंहासन पर एक खूबसूरत औरत वैठी हुई थी जिसके बाद फिर बीस या इक्कीस देवकीनन्दन खत्री समग्र