पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३९१

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कम-यदि मेरी बातों पर विश्वास न करोगी तो मेरा कुछ भी न विगडेगा अगर कुछ बिगड़ेगा तो तुम्हारा या तुम्हारी सखी मनोरमा का। जब मनोरमा न मुझे तुम्हारे पास भेजा तो मुझ भी इस बात का तरदुद हुआ और मैंने उनसे कहा कि तुम मुझे भेजती तो हो मगर जाने से कोई काम न निकलेगा क्योंकि में किसी तरह अपना परिचय किसी को नहीं दे सकती और बिना मुझे अच्छी तरह जाने नागर मेरी बातों पर विश्वास न करेंगी। इसके जवाब में मनोरमा ने कहा कि मैं लाचार हूँ, सिवाय तेरे यहाँ पर मेरा हित कोई नहीं जिसे नागर के पास भेजू, यदि तू न जायगी तो मेरी जान किसी तरह नहीं बच सकती। खैर तुम्हें मैं एक शब्द बताती हूँ मगर खबरदार वह शब्द सिवाय नागर के किसी दूसरे के सामने जुयान से न निकालियो। जिस समय नागर तेरी जुबान से वह शब्द सुनेगी उस समय उसका शक जाता रहेगा और जो कुछ तू उसे कहेगी वह अवश्य करेगी। आखिर मनोरमा ने वह शब्द मुझे बताया और उसी के भरोसे मैं यहाँ तक आई हूँ। नागर--(कुछ सोच कर ) वह शब्द क्या है ? कम-(चारों तरफ दख कर और किसी को न पाकर ) विकट । नागर-(कुछ देर तक सोचने के बाद ) खैर मुझे तुम पर भरोसा करना पड़ा अब कहो मनोरमा किस अवस्था में है और मुझे क्या करना चाहिए? कम-मनोरमा भूतनाथ से मिलने गई थी मगर उससे मुलाकात होने पर मालूम कौन सा ऐसा सबब आ पडा कि उसने भूतनाथ का सिर काट लिया। नागर--(चौक कर ) भूतनाथ को मार ही डाला | कम-हाँ उस समय मैं मनोरमा के साथ मगर कुछ दूर पर खडी यह हाल देख रही थी। नागर-अफसोस मनोरमा ने बहुत ही बुरा किया आज कल भूतनाथ से बहुत कुछ काम निकालने का जमाना था खैर तय क्या हुआ? कम--मनोरमा को मालूम न था कि राजा वीरेन्द्रसिह का ऐयार तेजसिह इस समय थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ की आड में खडा भूतनाथ और मनोरमा की तरफ देख रहा है। नागर-ओफ तेजसिह को भूतनाथ के मरने का सख्त रज हुआ होगा क्योंकि इन दिनों भूतनाथ दिलोजान से उन लोगों की मदद कर रहा था अच्छा तब ? कम-तेजसिह बडी फुर्ती से उस जगह जा पहुंचा जहाँ मनोरमा खडी थी और एक लात ऐसी मनोरमा की छाती पर लगाई कि वह बदहवास हो जमीन पर गिर पड़ी। तेजसिहू ने उसकी मुश्क बाध ली और जफील बजाई जिसकी आवाज सुन कई आदमी वहाँ आ पहुँचे। उन लोगों ने मनोरमा के साथ मुझे भी गिरफ्तार कर लिया। उसी समय मनोरमा के कई सवार दूर से आते हुए दिखाई पड़ मगर उन लोगों के पहुंचने के पहिले ही तेजसिह और उसके साथी हम दोनो का लकर वहाँ से थोड़ी दूर पर पेडों की आड में जा छिपे। दूसरे दिन हम दोनों ने अपने को राहतासगढ किले के अन्दर पाया। मनोरमा ने अपने छूटने की बहुत कुछ कोशिश की मगर कोई काम न चला। आखिर उसने तेजसिह से कहा कि भूतनाथ बड़ा ही शैतान नालायक और खूनी आदमी था उसका असल हाल आप लोग नहीं जानते यदि जानत ता आप लोग खुद भूतनाथ का सिर काट डालते । इसके जवाब में तेजसिह ने कहा कि यदि इस बात को तू साबित कर दे तो मैं तुझे छोड़ दूंगा । मनोरमा ने मेरी तरफ इशारा करके कहा कि यदि आप इसे छोड़ दें और पाँच दिन की मोहलत दें तो इसे मैं अपने घर भेजकर मूतनाथ के लिखे कागजात ऐसे मगादू कि जिन्हें पढ़ते ही आपको मेरी बातों पर विश्वास हो जायें और भूतनाथ का बहुत कुछ विचित्र हाल भी जिसे आप लोग नहीं जानते मालूम हो । यदि मैं झूठी निकलूं तो जो कुछ चाहें मुझे सजा दीजिएगा । तेजसिह ने कुछ देर सोच विचार कर कहा कि हो सकता है मुझसे बहाना करके इसे तुम अपने घर भेजो और किसी तरह की मदद भगाओ मगर मुझे इसकी कुछ परवाह नहीं मैं तुम्हारी बात मजूर करता हूँ और इसे (मेरी तरफ इशारा करक) छोड देता हूँ, जो कुछ चाहे इसे समझा युझा कर अपने घर मेजो । इसके बाद मुझसे निराले में बातचीत करने के लिए आज्ञा मागी गई और तेजसिह ने उसे भी मजूर किया आखिर मनोरमा ने मुझे बहुत कुछ समझा-बुझा कर तुम्हारे पास रवाना किया। अब मै तो रोहतासगढ़ जाने वाली नहीं क्योंकि बड़ी मुश्किल से जान बची है मगर तुम्हें मुनासिब है कि जहाँ तक जल्द हो सके भूतनाथ के कागजात लेकर रोहतासगढ जाओ और अपनी सखी के छुडाने का बन्दोबस्त करो। कमलिनी की चातें सुनकर नागर सोच-सागर में डूब गई।नमालूम उसके दिल में क्या क्या बातें पैदा हो रही थीं मगर लगभग आधी घड़ी के वह चुपचाप बैठी रही। इसके बाद उसने सिर उठाया और कमलिनी की तरफ देखकर कहा 'खैर अब चन्द्रकान्ता सन्तति भाग६