पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आबनूस क रग की तरह स्थाह हा जाय और जब तक कल क अर्क से न धाया जाय वह दाग किसी तरह न छूट चाह वर्ण बीत जाय। वह आदमी गारा था मगर अव पूर्ण रूप से काला हा गया, चेहरे पर कई जख्म के निशान भी बन गय। तेजसिह ने घड गौर स उसकी सूरत देखी और इस ढग स गर्दन हिला कर उठ खड हुए कि जिससे उनके दिल का भाव साफ झलक गया। तजसिह ने सोच लिया कि बस इसकी सूरत बखूपी बदल गई. और कोई कारीगरी करने की आवश्यकता नहीं है और वास्तव में एसा ही था मी दूसरे की बात तो दूर रही यदि उसकी मा भी उस देखती तो अपने लड़के को कभी न पहिचान सकती। उस आदमी की कमर के माथ ऐयारी का बटुआ था तसिह न उसे खाल लिया और अपने बटुए की कुल चीजें उसमें रख अपना बटुआ उसकी कमर से बांध दिया ओर वहा से रवाना हा गय। तजातिह फिर उसी शिवालय के सामने आए और एक पेड क नीच बैठ कर कुछ गाने लग। दिन केवल घण्टे भर याका रह गया था जब वह दूसरा आदमी भी शिवालय के बाहर निकला। तेजसिह का जा उसक सार्थी की सूरत में थे पड़ के नीव मौजूद पाकर यह गुस्से में आ गया और उनके पास आकर कड़ी आवाज में बाला 'वाहजी विहारीसिह अभी तक आप यहाँ बैठ गीत गा रहे है। तेजसिह का इता मालूम हा गया कि हम जिसकी सूरत में है उसका नाम बिहारीसिह है। अब जब तक ये अपनी अमली सूरत में न आयें हम भी इन्हें बिहारीसिह के ही नाम स लिखेंगे, हा कहीं कहीं तजसिह लिख जाय तो कोई हर्जभी नहीं। विहारीसिह ने अपन साथी की बात सुनकर माना वन्द किया और उसकी तरफ देय क काट/- विहारी--(दा तीन दफे खास कर ) वाला मत इस समय मुझे खासी हो गई है जाबाज भारी हा रही है जितना कोशिश करता हूँ उतना ही गाना बिगड जाता है और तीम भी आ जाओ और जरा सुर में सुर मिला कर साथ गाओ तो 1 वह-क्या बात है 1 मालूम होताई तुम कुछ पागल हो गये हो मालिक का काम गया जहनुम मं और हम लोग बैठे गीत गाया करे । विहारी-वाह जरा सी बूटी न क्या मजा दिखाया। अहा हा जीते रहो पट्ट ईश्वर तुम्हारा भला करे खूब सिदधी पिलाई। पह-विहारीसिह यह तुम्हें क्या हो गया? तुम ता एस न थ । विहारी-जव न थ तब बुरे य जव है तो अच्छा है। तुम्हारी बात ही क्या है सत्रः हाथी जलपान करक बेठा हूँ। कम्बख्न न जरा नम्गक मी नहीं दिया फोका हा उडाना पडा! ही ही ही ही आआ एक गदहा तुम भी खा लो नहीं नहीं सूअर अच्छा करता ही नही। आ हो हो हा क्या दूर की सूझी विचाजी ऐयारी करने बैठे हल जोतना आता नहीं जिन्न पकड़न लग। हा हा हा हा वाह रे यूटी अभी तक जीभ चटचटाती है-ला देख लो (जीभ चटचटा कर दिखाता है)। वह-अफसोस । बिहारी-अव अफसास करने से क्या फायदा? सा होना था वह ता हो गया। जा के पिन्डदान करो। हो यह तो वता पितर मिलोनी कय करोग ? मैं जाता हूँ तुम्हारी तरफ से ब्राहमणा को नेवता द आता है। यह-(गदन हिला कर) इसमें कोई सन्देह नहीं कि तुम पूर पागल हा गए हो। तुम्हे जरूर किसी ने कुछ खिला या पिला दिया है। विहारीन इरम्मै सन्दह न उसमें सन्देह पागल की बातचीत तो बिल्कुल जाने दो क्योंकि तुम लोगों में केवल मैं ही हू साह, वाकी सब पागल। खिलाने वाले की ऐसी तैसी पिलाने वाल का बोला वाला। एक लोटा भाग दो सौ पैतीस साढ़े तरह आना लोटा निशान। ऐयारी के नुस्खे एक से एक बढ के याद है जहाज की पाल भी खूब ही उडती है। वाह कैसी अधरी रात है। वाप रे वाय सूरज भी अस्त हुआ ही चाहता है। तुम भी नहीं हम भी नहीं, अच्छा तुम भी सही बडे अक्लमन्द हो अकिल अकिल अकिल मन्द मन्द मन्द। (कुछ देर तक चुप रह कर) अरे बाप रे बाप, मैया रे मैया, बड़ा ही गजब हा गया में तो अपना नाम भी भूल गया अभी तक तो याद था कि मेरा नाम बिहारीसिह है मगर अब मूल गया तुम्हारे सिर की कसम जो कुछ भी याट हो । भाई यार दोस्त मेरे जरा यता तो दा मेरा नाम क्या है ? 1 वह-अफसास रानी मुझी को दोष दंगी कहेंगी कि हरनामसिह अपने साथी की हिफाजत न कर सका। विहारी-ही ही ही ही वाह र भाइ हरनामसिह, अलिफ व ते ट स च छ ज झ उल्लू की दुम फाख्ता हरनामसिह को विश्वास हा गया कि जरूर किसी ऐयार की शेतानी स जिसने कुछ खिला या पिला दिया है हमारा देवकीनन्दन खत्री समग्र