पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४०६

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दि आता? क्या मायासनी अथवा उसका कोई ऐयार अब तेजसिह को बिहारीसिह नहीं समझ सकता है? कभी नहीं कभी नहीं । इन सब बातों को तेजसिह भी बखूबी समझ सकते थे और उन्हें विश्वास हो गया कि अब हम कैद कर लिए गये थोड़ी देर बाद यहाँ के मकानों को घूम घूम कर देखने के लिए तेजसिह उठे मगर सिदाय एक कमरे के जिसके दर्वाजे पर मोटे अक्षर में (२) का अक लिखा हुआ था बाकी सब कमरे और मकान बन्द पाए। दो का नम्बर देखते ही तेजसिह को ध्यान आया कि मायारानी ने इसी कमरे में मुझे रखने को हुक्म दिया है। उस कमरे में एक दर्वाजा और छोटी छोटी कई खिडकिया थीं अन्दर फर्श विछा हुआ और कई तकिये भी मौजूद थे। तेजसिह को भूख लगी हुई थी याग में मेवों की कमी न थी उन्हीं से पेट भरा और नहर का पानी पी कर उसी दो नम्बर वाले कमरे को अपना मकान या कैदखाना समझा। तीसरा बयान ... रात पहर भर से ज्यादे जा चुकी है। तेजसिह उसी दो नम्बर वाले कमरे के बाहर सहन में तकिया लगाये सो रहे हैं। चिराग बालनेकाकोईसाभानयहाँ मौजूद नहीं जिससे रोशनी करते पास में कोई आदमी नहीं जिससे दिल बहलाते वाग से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं कि कुमारों को छुडाने के लिए कोई बन्दोयस्त करते, लाचार तरह तरह के तरदुदों में पड़े उन पेडों पर नजर दोडा रहे थे जो सहन के सामने बहुतायत से लगे हुए थे। यकायक पेड़ों की आड में रोशनी मालूम पडीतेजसिह घबडा कर ताज्जुब के साथ उसी तरफ देखने लगे। थोड़ी ही देर में मालूम हुआ कि कोई आदमी हाथ में चिराग लिए तेजी के साथ कदम बढाता उनकी तरफ आ रहा है। देखते देखते वह आदमी तेजसिह के पास आ पहुंचा और चिराग एक तरफ रख कर सामने खड़ा हो के बोला,"जय माया की। यह आदमी सिपाहियाना ठाठ में था। छोटी छोटी स्याह दादी से इसके चेहरे का ज्यादा हिस्सा ढका हुआ था। मेयाना कद और शरीर से हृष्ट पुष्ट था। तेजसिह ने भी यह समझ कर कि कोई ऐयार है जवाब में कहा, 'जय माया की - सिपाही-(जा अभी आया है ) ओस्ताद तुमने चालाकी तो खूब की थी मगर जल्दी करके काम बिगाड़ दिया। तेज-चालाकी क्या और जल्दी कैसी? सिपाही-इसमें तो कोई शक नहीं कि मायारानी के बाग में रूप बदल कर आने वाला ऐयार पागल बने बिना किसी दूसरी रीति से काम चला ही नहीं सकता था परन्तु आपने जल्दी कर दी. दो चार दिन और पागल बने रहते तो ठीक था असली बिहारीसिह की बातों का जवाब आपको देना न पडता और इस वाग के तीसरे या चौथे हिस्से का भेद भी आपसे पूछा न जाता अव तो सभी को मालूम हो गया कि आप असली बिहारी सिह नहीं बल्कि कोई ऐयार है। तेज-सब लोग जो चाहे समझें मगर तुम मेरे पास क्यों आए हो? सिपाही-इसीलिए कि आपका हाल जानू और जहाँ तक हो सके आपकी मदद करूँ। तेज-मैं अपना हाल सिवाय इसके और क्या कहू कि में वास्तव में बिहारीसिह हू । सिपाही-(हस कर ) क्या खूब अभी तक आपका मिजाज ठिकाने नहीं हुआ मगर मैं फिर कहता हूं कि मुझ पर भरोसा कीजिए और अपना ठीक ठीक नाम बताइए। तेज-जब तुम यह समझते हो कि में ऐयार हू तो क्या यह नहीं जानते कि ऐयार लोग किसी ऐसे बतोलिए पर जैसेमि आप है यकायकी कैसे भरोसा कर सकते है ? सिपाही-हा आपका कहना ठीक है ऐयारों को यकायक किसी का विश्वास न करना चाहिए मगर मेरे पास एक ऐसी चीज है कि आपको झख मार कर मुझ पर भरोसा करना पड़ेगा ? सिपाही नेमची रिक्तग्रन्थ 1.

  • नेमी रिक्तनाथ-यह ऐयारी भाषा का शब्द है. इसका अर्थ है-खून से लिखी किताब का घर ।

देवकीनन्दन खत्री समग ३८६