पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४१४

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दि का दूसरा सबूत यह भी है कि यह चीठी और ताली काले खलीते ( कपड़े के लिफाफे ) के अन्दर है। चीठी के ऊपर मनोरमा का नाम लिखा था इससे निश्चय हो गया कि यह बिल्कुल बर्खडा मनोरमा ही का मचाया हुआ है। मै मनोरमा को अच्छी तरह जानता था। त्रिलोचनेश्वर महादेव के पास उसका आलीशान मकान देखन से यही मालूम होता था कि वह किसी राजा की लड़की होगी मगर ऐसा नहीं था हाँ उसका खर्च हद से ज्यादे बढा हुआ था और आमदनी का ठिकाना कुछ मालूम नहीं होता था। दूसरी बात यह कि वह प्रचलित रीति पर ध्यान न देकर वेपद खुलेआम पालकी तामझाम और कभी कभी घोड पर सवार हो कर बडे ठाठ से घूमा करती और इसलिए काशी के छोटे बड़े सभी मनुष्य उसे पहिचानते थे। उस चीठी के पढने से मुझे विश्वास हो गया कि मनोरमा जबर तिलिस्म से कुछ सम्बन्ध रखती हे और मेरी माँ उसी के कब्जे में है। इस सोच में कि किस तरह अपनी माँ को छुडाना और रिक्तगन्थ पर कब्जा करना चाहिए कई दिन गुजर गये और इस बीच में उस ताली को में अपने मकान के बाहर किसी दूसरे विकाने हिफाजत से रख आया । यहाँ तक अपना हाल कह कर नानक चुप हो रहा और झुक कर बाहर की तरफ देखने लगा। तेज-हा हाँ कहो फिर क्या हुआ तुम्हारा हाल बडा ही दिलचस्प है विल्कुल बातें हमारे ही सम्बन्ध की है। नानक-ठीक है परन्तु अफसोस इस समय में जो कुछ आप से कह रहा हूँ उससे मेरे चाप का कसूर और तेज-मैं समझ गया जो कुछ तुम महा चाहते हो मगर मै सच्चे दिल से कहता हूँ कि यद्यपि तुम्हारे बाप ने भारी जुर्म किया है और उसके विषय में हमारे तरफ से विज्ञापन दिया गया है कि जो कोई रिक्तग्रन्थ के चार को गिरफ्तार करेगा उसे मुँहुमागा इनाम दिया जायगा तथापि तुम्हारे इस किस्से का सुन कर जिसे तुम सच्चाई के साथ कह रहे हा मै वादा करता हूँ कि उसका कसूर माफ कर दिया जायगा और तुम जो कुछ नेकी हमारे साथ किया चाहते हो या करोगे उसके लिए धन्यवाद के साथ पूरा पूरा इनाम दिया जायगा। मैं समझता हूँ कि तुम्हें अपना किस्सा अभी बहुत कुछ कहना है और इसमें भी कोई सन्दह नहीं कि जो कुछ तुम कहोगे मेरे मतलय की यात होगी परन्तु इस बात का जवाय मै सव से पहिले सुना चाहता हूँ कि वह रिक्तग्रन्थ तुम्हारे कब्ज में है या नहीं ? अथवा हम लोग उसके पीन की आशा कर सकते है या नहीं? इसके पहिले कि तेजसिह को आखिरी बात का कुछ जवाब नानक दे बाहर से यह आदाज आई-यद्यपि रिक्तग्रन्थ मानक के कब्जे में अब नहीं है तथापि तुम उसे उस अवस्था में पा सकते हो जब अपने को उसके पाने योग्य साबित करो। इसके बाद खिलखिला कर हॅसने की आवाज आई। इस आवाज ने दाना ही को परशान कर दिया दोनों ही को दुश्मन का शक हुआ। नानक ने सोचा कि शायद मायारानी का कोई एयार आ गया और उसने छिप कर मेरा किस्सा सुन लिया अब यहाँ से निकलना या जान बचाकर भागना बहुत मुश्किल है तेजसिह को भी यह निश्चय हो गया कि नानक द्वारा जो कुछ भलाई की आशा हुई थी अब निराशा के साथ बदल गई। दोनों एयार उसे ढूँढने के लिए उठे जिसकी आवाज ने यकायक उन दोनों को चौका और होशियार कर दिया था। दो कदम भी आगे न बढ़े थे कि फिर आवाज आई क्यों कष्ट करते हो मै स्वय तुम्हारे पास आता साथ ही इसके एक आदमी इन दोनों की तरफ आता हुआ दिखाई पडा। जब यह पास पहुंचा तो बोला ऐतेजसिह और नानक तुम दोनों मुझे अच्छी तरह देख और पहिचान लो मैं तुमसे कई दर्फ मिलूँगा देखो भूलना मत । तेजसिह और नानक ने उस आदमी को अच्छी तरह दखा। उसका कद नाटा और रग साचला था। घनी और स्याह दाढी और मूछों ने उसका आधा चेहरा छिपा रखा था। उसकी आँखें बडी बडी मगर बहुत ही सुर्ख और चमकीली थी हाथ पैर से मजबूत और फुर्तीला जान पड़ता था। माथे पर सफेद चार अगुल जगह घेरे हुए रामानन्दी तिलक था जिस पर देखने वाले की निगाह सब से पहिले पड़ सकती थी परन्तु ऐसी अवस्था होने पर भी उसका चेहरा नमकीन और खूबसूरत था तथा देखने वाले का दिल उसकी तरफ खिंच जाना कोई ताज्जुब न था। उसकी पोशाक बेशकीमत और चुरत मगर कुछ भूडी थी। स्याह पायजामा सुर्ख अगा जिसमें बडे बड़े कई जेब किसी चीज से मरे हुए थे और सब्ज रग के मुडासे की तरफ ध्यान देने से हँसी आती थी एक खजर बगल में और दूसरा हाथ में लिए हुए था। तेजसिह ने बड़े गौर स उस देखा और पूछा क्या तुम अपना नाम बता सकते हो। जिसके जवाब में उसने नहीं मगर चण्डूल के नाम से आप मुझे बुला सकते है। तेज-जहाँ तक मैं समझता हूँ आप इस नाम के योग्य नहीं है। कहा देवकीनन्दन खत्री समग्र